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पत्रिका जन एजेंडा कार्यक्रम के तहत बैठकें : क्षेत्र के विकास के विभिन्न मुद्दों पर ग्रामीणों ने की चर्चा

locationबाड़मेरPublished: Sep 22, 2018 02:53:27 pm

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ये बताए मुद्दे

पत्रिका जन एजेंडा कार्यक्रम के तहत बैठकें : क्षेत्र के विकास के विभिन्न मुद्दों पर ग्रामीणों ने की चर्चा


गुड़ामालानी . उपखंड मुख्यालय पर शुक्रवार शाम पत्रिका के जन एजेंडा कार्यक्रम के तहत बैठक हुई। इसमें विधानसभा क्षेत्र के चेंजमेकर, वॉलिंटियर, व्यापारियों सहित आमजन ने भाग लेकर जन समस्याओं पर चर्चा की।

व्यापार मंडल अध्यक्ष पुरुषोत्तम जैन, बिश्नोई महासभा के बाबूलाल मांजू, सरपंच खींयाराम बेनीवाल, चंद्रप्रकाश मोदी, मेघसिंह राठौड़, दीपाराम चौधरी, कुलदीप जोशी, लक्ष्मण पटेल, खीमसिंह, मुकेश श्रीमाली, महेश गुप्ता, जोगेंद्र कुमार आदि ने क्षेत्र के विकास घोषणा पत्र में स्थानीय व राज्य स्तरीय मुद्दों को शामिल करने की बात कही।
नर्मदा नहर का हो विस्तार, रोडवेज की मिले सुविधा
इन मुद्दों पर भी हुई चर्चा : बैठक में प्रतिनिधियों ने कहा कि चुनाव से पहले नेहण क्षेत्र को जोडऩे वाले रतनपुरा सड़क पर लूनी नदी बहाव पर स्वीकृत ब्रिज का कार्य शीघ्र शुरू हो। क्षेत्र में कम बारिश को देखते हुए तुरंत गिरदावरी, सरकारी दूध डेयरी शुरू करने, पशु शिविर शुरू करने, गंदगी के निस्तारण, आवारा पशुओं से निजात, पुरानी पाइप लाइन बदलने, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने, सभी सरकारी कार्यालयों में बायोमीट्रिक सुविधा फिर शुरू करने, विद्यालय को सड़कों से जोडऩे, पेंशन राशि बढ़ाने, रागेश्वरी गैस टर्मिनल व कंपनी कार्य में भूमि अधिग्रहण में शामिल किसानों को कंपनी में रोजगार देने, बैंकों में एनपीए खातों में ऋण माफी के साथ निमित्त आदर्श ग्राहकों को भी माफी का लाभ, दीनदयाल योजना के तहत विद्युत कार्य को गति सहित विभिन्न मुद्दे घोषणा पत्र में शामिल करने का आग्रह किया।
ये बताए मुद्दे
नर्मदा नहर का विस्तार, कृषि व पीने को मीठा पानी मिले, वंचित रहे नेहण क्षेत्र में भी पहुंचे नहरी पानी।
राजकीय चिकित्सालय में चिकित्सकों के रिक्त पदों पर नियुक्तियां हों, राजकीय महाविद्यालय में व्याख्याताओं के पद भरे जाएं।
गुड़ामालानी मुख्यालय को रोडवेज की बस सेवा मिले, बंद की गई बाड़मेर डिपो की बसें फिर शुरू की जाएं।
क्षेत्र में गैस उत्खनन, बजरी खनन से मिलने वाले राजस्व आय का कुछ हिस्सा गुड़ामालानी के विकास को मिले।
मीठे पेयजल के लिए परंपरागत जल स्रोतों का पुनरुत्थान व विस्तार हो। नलों से पेयजल आपूर्ति भी नहीं हो रही।

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