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गुरु के सिद्धांतों जीवन में करें आत्मसात- मुनि संजय

locationबाड़मेरPublished: Jan 14, 2019 09:21:50 pm

Submitted by:

Dilip dave

राजेन्द्रधाम में गुरु सप्तमी का वार्षिक कार्यक्रम
– देश भर से उमड़े श्रद्धालु

गुरु के सिद्धांतों जीवन में करें आत्मसात- मुनि संजय

गुरु के सिद्धांतों जीवन में करें आत्मसात- मुनि संजय

बालोतरा.
राजेन्द्रधाम में गुरु सप्तमी का वार्षिक कार्यक्रम धूमधाम से मनाया गया। इसमें देश के कोने-कोने से हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। धाम में दर्शन-पूजन कर व प्रसाद चढ़ा परिवार में खुशहाली की कामना की।
इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने विधि-विधान से मंदिर में गुरु प्रतिमाओं का पूजन कर मंदिर शिखर पर ध्वजा चढ़ाई। श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा करते हुए जयकारे लगाए। इसके बाद मंदिर से वरघोड़ा निकला। इसमें शामिल झांकियां आकर्षण का केन्द्र रहीं। भजनों पर श्रद्धालु जयकारे लगाते हुए व नृत्य करते हुए चल रहे थे। राजेन्द्रधाम पहुंच वरघोड़ा यात्रा पूर्ण हुई।
आचार्य संजय मुनि ने दादा राजेन्द्र सुरीश्वर के बारे में प्रकाश डालते हुए कहा कि उनके गुणों व सिद्धान्तों को जीवन में उतारें। उनका जन्म दिवय आज पूरा देश गुरु सप्तमी के रूप में मनाता है। उनके गुणों को धारणकर अपने जीवन को धन्य बनाएं। साध्वीजन ने भी दादा गुरु पर प्रकाश डाला। यधणेन्द्र पदमावती जाग्रति मण्डल अध्यक्ष अरविन्द मदाणी ने बताया कि इस अवसर पर ट्रस्टी सायरमल नाहर, गौतम चौपड़ा,नाकोड़ा ट्रस्टी अशोक चौपड़ा , गौतमचंद गोलेच्छा, बंसतराज जैन,रमेश वाणीगोता , संजय वागीगोता , अमृतलाल कटारिया , ओम बांठिया , उत्तम कांकरिया, मैनेजर रतनचंद मालू, शान्तिलाल डागा ,मांगीलाल सालेचा , कान्तिलाल जैन मौजूद थे। रात्रि में आयोजित जागरण में गायक वैभव वागमार व गायिका प्रीति प्रिया ने भजनों की प्रस्तुतियां दी।
भावना हमेशा रखें उत्कृष्ट

बालोतरा.
श्रावक जीवन अपने आप में जीवन जीने की कला का अद्भुत आयाम है, लेकिन यह बात ध्यान में रखनी जरूरी है कि जैसे पहली कक्षा का बालक उत्तरोत्तर वृद्धि करता हुआ आगे की कक्षा में जाता है, ठीक उसी प्रकार एक श्रावक- श्रावक ही बने रहना नहीं चाहता। वह श्रावक से साधु बनने की हर पल कोशिश करता है। मुनि मनितप्रभ सागर ने सोमवार को नगर में आयोजित कार्यक्रम में यह बात कही। उन्होंने कहा कि श्रावक की भावना इतनी उत्कृष्ट होनी चाहिए कि जब भी वह खाना खाने बैठे तो सोचे कि पहले मुझे सुपात्र को दान देने का अवसर मिले। फिर भोजन ग्रहण करुंंगा। जिसने सुपात्र दान के लिए द्वार बंद कर दिए, उसने सदगति के द्वार बंद कर दिए। जीवन के कुछ ऐसे सूत्र अपनाएं, जो जीवन की दशा और दिशा को बदल दें। इस अवसर पर सचिव अभिषेक गोलेछा,बाबूलाल सराफ , पुरुषोत्तम सेठिया आदि मौजूद थे।
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