– 11.30 बजे शुरू हुआ रेस्क्यू
– 5.30 बजे मदद को पहुंची बीएसएफ – 6.00 बजे शाम को दिखा शव
– 6.55 बजे शाम को निकाला बाहर ओम माली बाड़मेर पत्रिका. शहर के निकट शिवकर गांव में निर्माण के दौरान पानी की बेरी ( छोटा कुआं) ढहने से एक युवक दब गया। रेत में करीब 35 फीट नीचे दबे इस युवक के शव को आठ घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद निकाला गया। शव निकलते ही परिजन में कोहराम मच गया। रेस्क्यू के दौरान कलक्टर एवं एसपी मौके पर मौजूद रहे।
– 5.30 बजे मदद को पहुंची बीएसएफ – 6.00 बजे शाम को दिखा शव
– 6.55 बजे शाम को निकाला बाहर ओम माली बाड़मेर पत्रिका. शहर के निकट शिवकर गांव में निर्माण के दौरान पानी की बेरी ( छोटा कुआं) ढहने से एक युवक दब गया। रेत में करीब 35 फीट नीचे दबे इस युवक के शव को आठ घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद निकाला गया। शव निकलते ही परिजन में कोहराम मच गया। रेस्क्यू के दौरान कलक्टर एवं एसपी मौके पर मौजूद रहे।
शिवकर गांव का रामराम(35) पुत्र मांगीलाल बुधवार सुबह 8 बजे घर के पास बेरी निर्माण के लिए गया। लगभग 35 फीट गहरी खोदी जा चुकी बेरी का पक्का निर्माण प्रारंभ करने को चार साथियों के साथ बेरी में उतरा। उसके साथी करीब 10.45 बजे बेरी से बाहर आ गए और वह पक्का काम करने को अंदर ही ठहरा। करीब 11 बजे बेरी अचानक ढह गई और रामाराम अंदर दब गया। इससे गांव में हड़कंप मच गया और ग्रामीणों ने प्रशासन को तत्काल जानकारी दी। प्रशासन की रेस्क्यू टीम 11.30 बजे पहुंची और मशक्कत शुरू की। करीब 7 घंटे बाद शाम छह शव नजर आया। इसके एक घंटे में करीब 6.55 बजे शव को निकाला गया।
रेस्क्यू हुआ एेसे
रेस्क्यू हुआ एेसे
रेस्क्यू शुरू होते ही जिला कलक्टर हिमांशु गुप्ता एवं पुलिस अधीक्षक राशि डोगरा डूडी मौके पर पहुंचे। यहां अर्जुन माली के नेतृत्व में 4 जेसीबी, एक हिताची और अन्य संसाधन जुटाते हुए रेस्क्यू प्रारंभ किया। पुलिस, ग्रामीण, नागरिक सुरक्षा व नगरपरिषद की टीम ने खुदाई शुरू की। शाम करीब 5.30 बजे तक शव नजर नहीं आने पर बीएसएफ का दल भी मदद को पहुंच गया। इसके बाद 6.00 बजे शव नजर आया।
शव निकलते ही कोहराम
शव निकलते ही कोहराम
शव जैसे ही बाहर आया रामाराम का भाई घेवर माली बिलख पड़ा। परिजन की आंखों में आंसू नहीं थम रहे थे। सभी ने परिजन को ढाढ़स बंधाया। शव को यहां से पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया।
नहीं जला किसी घर में चूल्हा
नहीं जला किसी घर में चूल्हा
गांव में इतनी बड़ी घटना होने की जानकारी के बाद ग्रामीण यहां जमा हो गए। रामाराम के तीन लड़के ,एक लड़की , पत्नी, माता-पिता व भरे पूरे परिवार के लिए यह सदमा असहनीय था। सुबह से शाम तक वे प्रार्थना करते रहे कि उसको बचा लिया जाए लेकिन उनकी उम्मीद टूट गई।