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बाड़मेर

पेट्रोलियम पदार्थ से केंद्र व राज्य को मालामल करने वाला गांव है ‘फकीर’, मूलभूत सुविधाओं तक का अभाव

छीतर का पार गांव की अनदेखी: खनन कर निकाले पेट्रोलियम पदार्थ, नहीं किए गए विकास कार्य

बाड़मेरSep 03, 2019 / 09:20 am

Nidhi Mishra

Barmer Village Facing Basic Amenities Despite Giving Crores Of Revenue

पेट्रोलियम पदार्थ से केंद्र व राज्य को मालामल करने वाला गांव है फकीर, मूलभूत सुविधाओं तक का अभाव

प्रताप चौधरी/ बाड़मेर। केंद्र व राज्य सरकार का खजाना भरने के बाद भी बाड़मेर जिले ( Barmer District Of Rajasthan ) का गांव छीतर का पार खुद ‘सुदामा’ बनकर रह गया है। इस गांव के हाइड्रो कार्बन ( Hydro Carbon ) से मालामाल होने के बाद भी सरकारों ने विकास कार्य नहीं करवाए।

यहां सबसे बड़ा मंगला प्रोसेसिंग टर्मिनल ( एमपीटी ) दस साल पूरे कर चुका है। यहां से राज्य को 33,500 करोड़ और केंद्र को 65,000 हजार करोड़ रूपए मिले। इतने राजस्व का इंतजाम करने के बाद भी गांव की तकदीर नहीं बदली। पेट्रोलियम में सरकारों का हिस्सा तय है, लेकिन गांव खाली हाथ है।
अभी है यह हाल
ग्राम पंचायत के स्कूल का भवन अधूरा है। स्वास्थ्य केंद्र की हालत खस्ता है। जोगासर कुआ स्कूल में भी पानी की समस्या है। अभी पेयजल के लिए टांकों पर निर्भर हैं।

1 फीसदी ही बदल दे तस्वीर
सुविधाएं तो छोड़िए केमिकल के पानी से ही लोग परेशान हैं। जहां इतना बड़ा तेल का कुआं और एमपीटी ( Mangla processing Unit ) हो, वह गांव तो चमन होना चाहिए। एक प्रतिशत राशि ही मिलती तो सूरत बदल जाती।
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Barmer Village Facing Basic Amenities Despite Giving Crores Of Revenue
नहीं मिली राशि
ग्राम पंचायत को एक रूपया भी नहीं मिला है। एक प्रतिशत राजस्व का हिस्सा ग्राम पंचायत को मिलता तो दस साल में यह देश की समृद्ध ग्राम पंचायतों में से एक होती। चूनी देवी, सरपंच
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पत्रिका व्यू
जिन गांवों में खनिज निकल रहे हैं, एक दो प्रतिशत हिस्सा सीधा इन ग्राम पंचयतों को मिल जाए और उससे विकास कार्य हों तो संभव है कि हर ग्राम पंचायत की तस्वीर बदल जाए।
फैक्ट फाइल
10 साल से लगा है मंगला एमपीटी
65 हजार करोड़ के करीब केंद्र को मिला राजस्व
33 हजार करोड़ राजस्व आया राज्य के हिस्से
1 प्रतिशत मिलता तो गांव के खाते में आते 981 करोड़

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