एक दर्जन से ज्यादा पुलिसकर्मी शहर में यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहन चालकों के खिलाफ चालान बनाकर जमा होने वाली राशि तीन साल तक खुद की जेब में डालते रहे। नियमानुसार यह राशि राजकोष में जमा होनी चाहिए थी। मामला उजगार होने पर पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर एससी/एसटी सैल पुलिस उप अधीक्षक मानाराम गर्ग को जांच सौंपी गई। जांच रिपोर्ट में पूर्व में कार्यरत रहे यातायात प्रभारी उप निरीक्षक आनंदकुमार, एएसआइ गजेसिंह, उप निरीक्षक शिवलालसिंह, निरीक्षक इन्द्रचंद, उप निरीक्षक लीलसिंह, एएसआइ चतराराम, भलाराम, सेवानिवृत्त एएसआइ कलाराम, हैड कांस्टेबल गोपालसिंह, जोगराजसिंह, उगमसिंह, धूड़ाराम व कार्यालय कार्मिक जगमालसिंह, भंवराराम व इन्द्रा की गबन में संलिप्तता सामने आई। रिपोर्ट के आधार पर कोतवाली थाने में धोखाधड़ी, गबन व फर्जी रेकॉर्ड तैयार करने सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया गया। मामला दर्ज हुए डेढ़ माह बीत गया है। लेकिन मामला फाइलों में दफन है। आरोपियों की ओर से सरकारी धन का गबन कर रेकॉर्ड खुर्द-बुर्द करने की बात पुलिस उप अधीक्षक की जांच रिपोर्ट में स्पष्ट होने के बावजूद आरोपी कार्मिक थानों में ड्यूटी कर रहे हैं।
पुलिस वालों पर पुलिस मेहरबान गबन के मामले में सभी आरोपित पुलिस अधिकारी व कर्मचारी हैं। ऐसे में पुलिस ने मामला दर्ज कर इतिश्री कर दी। अब पुलिसवालों के खिलाफ कार्रवाई व पूछताछ करने की जांच अधिकारी हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। ऐसे में मामला दफन हो रहा है।
यों खुला था मामला लाखों रुपए के गबन की जानकारी मिलने पर मुख्यालय ने अंकेक्षण विभाग से ऑडिट करवाई। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि करीब 39 लाख की राशि खुदबुर्द की गई है। अंकेक्षण विभाग की तथ्यात्मक रिपोर्ट मिलने पर विभागीय कार्रवाई होनी थी। एसपी के निर्देश पर उप अधीक्षक स्तर के अधिकारी की जांच रिपोर्ट में थानाधिकारियों व अन्य की गबन में संलिप्तता सामने आने पर थाने में मामला दर्ज करवाया था।
– कर रहे हैं जांच मामले की जांच मेरे पास है। अभी मैं बाहर हूं। जांच चल रही है। – जब्बरसिंह चारण, जांच अधिकारी व थानाधिकारी