यह था बाड़मेर 1949 तहसील गांव क्षेत्रफल जनसंख्या
शिव 379 4309 296780 सिवाना 74 2448 55969
पचपदरा 159 1284 97486 कुल 847 10333 648734 एेसे पड़ा बाड़मेर नाम बाड़मेर की पहली बसावट जिसे पुराना बाड़मेर कहते हैं वह जूना पतरासर था। वहां के शासक बाहडऱाव ने 13 वीं सदी मे इसकी स्थापना की थी। राव भीमा ने 1606 में नया बाड़मेर बसाया। बाड़मेर जिले का नाम बाहडऱाव के नाम से बाड़मेर रखा गया।
शिव 379 4309 296780 सिवाना 74 2448 55969
पचपदरा 159 1284 97486 कुल 847 10333 648734 एेसे पड़ा बाड़मेर नाम बाड़मेर की पहली बसावट जिसे पुराना बाड़मेर कहते हैं वह जूना पतरासर था। वहां के शासक बाहडऱाव ने 13 वीं सदी मे इसकी स्थापना की थी। राव भीमा ने 1606 में नया बाड़मेर बसाया। बाड़मेर जिले का नाम बाहडऱाव के नाम से बाड़मेर रखा गया।
आज का बाड़मेर ग्राम पंचायतें-489
नगरपरिषद-02 पंचायत समितियां-17
तहसील- 14 उपखण्ड- 11
आबादी- 26 लाख 3051 अकाल और जीवटता सीमावर्ती जिले ने अकाल को जीया है। दस साल में सात अकाल सहने वाले इस जिले में दुर्भिक्ष किसानों और पशुपालकों के लिए बड़ी परीक्षा रही है। लोगों ने अकाल में पेड़ों की छाल खाकर गुजारा किया है तो पलायन व पशुधन की हानि को खूब सहा है। बावजूद इसके आज जिले में 55 लाख पशुधन है जो हमारी आबादी का लगभग दुगुना है। यह दर्शाता है किस जीवटता से इस क्षेत्र के लोगों ने पशुधन को बचाया है।
नगरपरिषद-02 पंचायत समितियां-17
तहसील- 14 उपखण्ड- 11
आबादी- 26 लाख 3051 अकाल और जीवटता सीमावर्ती जिले ने अकाल को जीया है। दस साल में सात अकाल सहने वाले इस जिले में दुर्भिक्ष किसानों और पशुपालकों के लिए बड़ी परीक्षा रही है। लोगों ने अकाल में पेड़ों की छाल खाकर गुजारा किया है तो पलायन व पशुधन की हानि को खूब सहा है। बावजूद इसके आज जिले में 55 लाख पशुधन है जो हमारी आबादी का लगभग दुगुना है। यह दर्शाता है किस जीवटता से इस क्षेत्र के लोगों ने पशुधन को बचाया है।
पानी के लिए मीलों सफर जिले के लिए पेयजल की समस्या बहुत बड़ी रही है। मीलों सफर कर पानी लाना यहां के लोगों के जीवन का हिस्सा रहा है। आज भी जिले के 11000 गांव ढाणियों में पानी का प्रबंध नहीं है। चार बड़ी योजनाएं जिले के लिए बनी हैं। वर्ष 1957 में हरिके बैराज से चली इंदिरा गांधी नहर का पानी जिलेवासियों को पिलाने का दावा किया गया था लेकिन आज भी कई गांव प्यासे हैं। चारों बड़ी योजनाएं चार दशक से पूरी नहीं हुई हैं।
20 लाख लोग बढ़ गए जिले में 1961 की जनगणना में जिले में 6 लाख 48 हजार 734 लोग थे। जो 2011 में 26 लाख 3051 हो गए हैं। 20 लाख लोग 69 साल में बढ़ गए हैं। पिछले एक दशक में बाड़मेर की दशकीय वृद्धि 38 प्रतिशत से ज्यादा थी जो प्रदेश में सर्वाधिक है। सीमावर्ती क्षेत्र में द्रुतगति से बढ़ती यह आबादी सुरक्षा की दृष्टि से भी चिंतनीय मानी जा रही है।
यह है हमारी आज की ताकत – तेल खोज ने जिले को दुनियां में नाम दिया है। 15 करोड़ प्रतिदिन राज्य और 35 करोड़ केन्द्र को राजस्व दे रहा जिला देश के खनिज संपन्न जिलों में शामिल है।
– कोयला आधारित परियोजनाओं ने जिले को बिजली के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना दिया है। 1080 मेगावाट बिजली का उत्पादन कर रहा क्षेत्र सात जिलों की बिजली की खपत को पूरा करता है।
– कोयला आधारित परियोजनाओं ने जिले को बिजली के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना दिया है। 1080 मेगावाट बिजली का उत्पादन कर रहा क्षेत्र सात जिलों की बिजली की खपत को पूरा करता है।
– 25 अरब से अधिक की फसलों की पैदावार बाड़मेर जिले में होने लगी है। द्विफसली इलाके ने जिले के किसानों की आर्थिक स्थिति को बदला है। अकाल की पीड़ा सहने वाले जिले ने अब हरित क्रांति लाई है।
– 55 लाख के करीब जिले में पशुधन है।
– 55 लाख के करीब जिले में पशुधन है।
यह नया होने वाला है जिले में – 43000 करोड़ की लगेगी बाड़मेर में रिफाइनरी
– 6060 मेगावाट के लगेंगी पावर प्रोजेक्ट इकाइयां – 189 लाख से बन रहा है मेडिकल कॉलेज
– 9000 अरब का रेअर अर्थ का खजाना खोजा जाएगा सिवाना में
– 6060 मेगावाट के लगेंगी पावर प्रोजेक्ट इकाइयां – 189 लाख से बन रहा है मेडिकल कॉलेज
– 9000 अरब का रेअर अर्थ का खजाना खोजा जाएगा सिवाना में
– 1400 करोड़ के गैस प्रोजेक्ट से होगा प्राकृतिक गैस का उत्पादन
– जैसलमेर-बाड़मेर- गुजरात बिछेगी रेलवे लाइन – बाखासर में सूखा बंदरगाह का प्रोजेक्ट
– 2030 तक खोदे जाएंगे जिले में 250 तेल कुएं
– जैसलमेर-बाड़मेर- गुजरात बिछेगी रेलवे लाइन – बाखासर में सूखा बंदरगाह का प्रोजेक्ट
– 2030 तक खोदे जाएंगे जिले में 250 तेल कुएं
– जीरा मण्डी का होगा बाड़मेर में निर्माण
अब बालोतरा को जिला बनाने की है बड़ी मांग बाड़मेर जिले के गठन के बाद 1980 के दौर में बालोतरा को जिला बनाने की मांग उठी। इसके बाद हर चुनाव में बालोतरा को जिला बनाने की बात हुई है। बालोतरा को जिला बनाते ही बाड़मेर दो हिस्सों में बंट जाएगा। सिवाना, पचपदरा, बायतु का कुछ हिस्सा व सिणधरी तहसील का कुछ हिस्सा बालोतरा में सम्मिलित होगा। राज्य सरकार ने पिछले दिनों इसको लेकर संकेत दिया था लेकिन बाद में बात फिर ठंडे बस्ते में चली गई।
अब बालोतरा को जिला बनाने की है बड़ी मांग बाड़मेर जिले के गठन के बाद 1980 के दौर में बालोतरा को जिला बनाने की मांग उठी। इसके बाद हर चुनाव में बालोतरा को जिला बनाने की बात हुई है। बालोतरा को जिला बनाते ही बाड़मेर दो हिस्सों में बंट जाएगा। सिवाना, पचपदरा, बायतु का कुछ हिस्सा व सिणधरी तहसील का कुछ हिस्सा बालोतरा में सम्मिलित होगा। राज्य सरकार ने पिछले दिनों इसको लेकर संकेत दिया था लेकिन बाद में बात फिर ठंडे बस्ते में चली गई।