कैसे करें पूजा इस दिन भगवान शिव और पार्वती का विशेष पूजन किया जाता है। इस व्रत को कुवारी एवं सौभाग्यवती स्त्रियां ही करती हैं, परन्तु शास्त्रों में इसके लिए सधवा एवं विधवा सभी स्त्रियां कर सकती हैं। व्रत वाले दिन स्त्रियों को चाहिए कि वह व्रत का संकल्प लेकर घर को मण्डल आदि से सुशोभित कर पूजा सामग्री एकत्रित करें। इस व्रत को करने वाली स्त्रियां पार्वती के समान सुखपूर्वक पतिरमण करके शिवलोक को जाती हैं। इस दिन स्त्रियों को निराहार रहना चाहिए। संध्या समय स्नान करके शुद्ध व उज्जवल वस्त्र धारण कर पार्वती व शिव की मिट्टी प्रतिमा बनाकर पूजन की सम्पूर्ण सामग्री से पूजा करनी चाहिए, मंदिर जाने के स्थान पर घर पर ही प्रातः, दोपहर एवं सायं पूजा की जाती है, सायंकाल स्नान करके विशेष पूजा के पश्चात् व्रत खोला जाता है। दूसरे दिन व्रत का पारण किया जाता है।
ब्राह्मण को दें दान इस दिन सुहाग की पिटारी में सारी वस्तुयें रखकर पार्वती को चढ़ाने का विधान इस व्रत का प्रमुख लक्ष्य है। इस दिन शिवजी को धोती एवं अंगोछा चढ़ाया जाता है। यह सुहाग सामग्री किसी ब्राह्मणी और धोती एवं अंगोछा किसी ब्राह्मण को देकर तेरह प्रकार के मीठे व्यंजन सजा कर रूपयों सहित सास को देकर उनका चरण स्पर्श करना चाहिए एवं पार्वती एवं शिव का पूजन – अराधन करके कथा सुननी चाहिए। इस व्रत को करने से स्त्रियों को सौभाग्य, सुख-शांति की प्राप्ति होती है।