पूजन सामग्री कुमकुम, केसर, अबीर, गुलाल, सिन्दूर, पुष्प, चावल, चैसरे, ग्याराह सुपारियां, पंचामृत, पंचमेवा, गंगाजल, बिल्व पत्र, धूप बत्ती, दीप, नैवेद्य लड्डू पांच गुड़ प्रसाद, लौंग, इलायची, नारियल, कलश, लाल कपड़ा एक हाथ, सफेद कपड़ा एक हाथ, बरक, इत्र, पुष्पहार, डंठल सहित पान, सरसो, जनेऊ, मिश्री, बताशा और आंवला।
पूजन विधि एक चौकी पर लाल रेशमी वस्त्र बिछा कर उसमें मिट्टी, धातु, सोने अथवा चांदी की मूर्ति, ध्यान आवाहन के बाद रखनी चाहिए। ”ऊं गं गणपतये नमः“ कहते हुये उपरोक्त पूजन सामग्री गणेशजी पर चढ़ायें। एक पान के पत्ते पर सिन्दूर में हल्का सा घी मिलाकर स्वास्तिक चिन्ह बनायें, उसके मध्य में कलावा से पूरी तरह लिपटी हुई सुपारी रख दें। इन्हीं को गणपति मानकर एवं मिट्टी की प्रतिमा भी साथ में रखकर पूजन करें, गणेश जी के लिए मोतीचूर का लड्डू (5 अथवा 21) अवश्य चढ़ायें। लड्डू के साथ गेहूं का परवल अवश्य चढ़ायें, धान का लावा, सत्तू, गन्ने के टुकड़े, नारियल, तिल एवं पके हुये केले का भी भोग लगायें। अन्त में देशी घी में मिलाकर हवन सामग्री के साथ हवन करें एवं अन्त में गणेशजी की प्रतिमा के विसर्जन का विधान करना उत्तम माना गया है।
विशेष 1. गणेशजी की पूजा सायंकाल की जानी चाहिए। पूजा के बाद नीची नज़र से चन्द्रमा को अर्घ्य देकर ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए।