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मंत्री के दौरे के बाद भी नहीं सुधरे हालात, बुखार से मौतों का सिलसिला जारी

locationबरेलीPublished: Sep 14, 2018 06:27:07 pm

बरेली में बुखार से मौत का आंकड़ा 125 से भी ज्यादा हो गया है।

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मंत्री के दौरे के बाद भी नहीं सुधरे हालात, बुखार से मौतों का सिलसिला जारी

बरेली। जिले में बुखार से मौतों का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। जिले में फैले इस बुखार की रोकथाम के लिए सूबे के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने भी बरेली का दौरा किया, प्रदेश के डीजी हेल्थ पदमाकर सिंह ने बरेली में कैम्प किया साथ ही केंद्र सरकार और राज्य सरकार की टीमें भी इलाज में जुटी हुई है बावजूद इसके मौतों आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। जिले में बुखार से 11 और मरीजों की मौत हो गई। बरेली में मौत का आंकड़ा 125 से भी ज्यादा हो गया है। हालांकि स्वास्थ्य महकमे ने अभी तक सिर्फ 20 मौतों की ही पुष्टि की है। ग्रामीण इलाकों में फैली इस बीमारी की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम कैम्प लगाकर लोगों को इलाज मुहैया करा रही है बावजूद इसके मौतों की संख्या बढ़ती जा रही है।
सबसे ज्यादा मौत आंवला में

जिले में पिछले कुछ दिनों से फैले बुखार ने तमाम जिंदगियों को लील लिया है।आंवला इलाके में हालात बहुत खराब है आंवला में बुखार के कारण तीन और लोगों की मौत हो गई। अब तक आंवला में 70 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। सुखटिया में सत्यवीर की तीन साल की बेटी प्रिया व 45 वर्षीय कृपाल की बुखार से मौत हो गई। ग्राम मण्डोरा में विद्याराम की पत्नी छोटी की भी बुखार से मौत हो गई। आंवला क्षेत्र में अभी भी तमाम लोग बीमारियों की चपेट में है जिनका इलाज किया जा रहा है।
मलेरिया अफसर को किया था सस्पेंड

जिले में फैले बुखार की गूंज जब शासन तक पहुँची तो सरकार ने स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह को हालात का जायजा लेने के लिए बरेली भेजा था। स्वास्थ्य मंत्री ने बरेली पहुँच कर समीक्षा बैठक की और जिला मलेरिया अफसर को निलंबित कर दिया था और जिले के अफसरों को सुधार के निर्देश दिए थे बावजूद इसके हालात में कोई सुधार नही हुआ है।
शुरू में की लापरवाही

इस बुखार का प्रकोप जब शुरू हुआ तो स्वास्थ्य विभाग ने लापरवाही बरती। धीरे धीरे जब हालात बिगड़ गए तो स्वास्थ्य विभाग नींद से जागा लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और हालात इतने बिगड़ गए कि मरीजों की मौत का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। हर दिन हो रही मौतों के बाद भी स्वास्थ्य महकमा अभी आंकड़ों के खेल में उलझा हुआ है।

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