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कार्यशाला से बाहर नहीं आई 82 बसें ,दो दिन में रोडवेज को 12 लाख की चपत

locationबारांPublished: Sep 19, 2018 05:48:55 pm

बारां. रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल दूसरे दिन मंगलवार को भी जारी रही। इससे डिपो की सभी ८१ बसों के चक्के थम गए

कार्यशाला से बाहर नहीं आई 82 बसें ,दो दिन में रोडवेज को 12  लाख की चपत

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बारां. रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल दूसरे दिन मंगलवार को भी जारी रही। इससे डिपो की सभी ८१ बसों के चक्के थम गए तथा यात्रियों लोक परिवहन व निजी बसों के अलावा अवैध वाहनों से सफर करना पड़ा। हड़ताल का विरोध कर दूसरी यूनियन के पदाधिकारी व सदस्य हड़ताल में तो शामिल नहीं हुए, लेकिन उन्होंने बस संचालन नहीं किया। हड़ताली कर्मचारी सरकार से गत 27 जुलाई के समझौते को लागू करने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने 81 बसों का संचालन होने नहीं दिया, जिससे बारां डिपो से प्रतिदिन सफर करने वाले करीब 10 हजार यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ी। उधर दो दिनों में रोडवेज को करीब 12 लाख रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ है। राजस्थान परिवहन निगम संयुक्त कर्मचारी फैडरेशन के पदाधिकारियों ने रोडवेज व पुलिस प्रशासन पर बसों के संचालन में सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया है। ***** जाम राजस्थान रोडवेज के श्रमिक संगठनों का संयुक्त मोर्चा के बैनर तले चल रहा है।
सरकार का सौतेला व्यवहार
संयुक्त मोर्चा से जुड़े पदाधिकारी रोजमर्रा की तरह बस स्टैंड पहुंचे। वे आते ही बस स्टैंड परिसर में धरने पर बैठकर आमसभा को संबोधित करने लगे। कर्मचारियों ने राज्य सरकार पर सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया तथा कहा कि मांगों के पूरा नहीं होने तक आंदोलन जारी रहेगा। आमसभा को जिलाध्यक्ष राजेन्द्र नागर, कार्यकारी अध्यक्ष अर्सला खानम, गोविंदकांत चतुर्वेदी, सतराज सिंह, धनराज शर्मा आदि ने संबोधित किया।
सहयोग नहीं करने का आरोप
राजस्थान परिवहन निगम संयुक्त कर्मचारी फैडरेशन ने बसों के संचालन में रोडवेज प्रशासन व पुलिस पर सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया है। फैडरेशन अध्यक्ष आशुतोष शर्मा ने बताया कि फैडरेशन हड़ताल के पक्ष में नहीं है। सोमवर को 30 बसों का संचालन हुआ था। यूनियन से जुड़े कर्मचारियों बसों का संचालन करने के लिए बस स्टैंड पहुंचे लेकिन बसों में डीजल भरने के लिए कोई कर्मचारी मौजूद नहीं था। रोडवेज प्रशासन के एक पर अलग-अनग यूनियनों के चालक, परिचालक लगाने से भी बसें नहीं चल पाईं। वहीं डिपो प्रबंधक का कहना है कि अधिकांश कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से व्यवस्था बनाना मुश्किल हुआ है।
लोक परिवहन बसों में रही खासी भीड़
रोडवेज बसों का संचालन नहीं होने से यात्रियों को लोक परिवहन व निजी बसों में सफर करना पड़ा। इसके लिए उन्हें काफी देर तक इन्तजार भी करना पड़ा। कोटा रूट पर जाने वाली ज्यादातर बसों में पैर रखने की जगह नहीं थी। ऐसे में कई यात्रियों को खड़े खड़े सफर करना पड़ा। उधर हड़ताल का कई निजी बसों व अवैध वाहन चालकों ने भरपूर फायदा उठाया। उन्होंने मनमाने किराए की वसूली की।
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