बारां/अटरू. खनन विभाग ने गुरुवार को जिले के पिपलोद गांव में निजी जमीन से अवैध रूप से पत्थर खनन करने के आरोप में चार खातेदारों पर 15 करोड़ 80 लाख रुपए का जुर्माना किया है।
बारां•Feb 01, 2024 / 11:13 pm•
Ghanshyam
निजी जमीन पर अवैध खनन, 15.80 करोड़ रुपए का जुर्माना
बारां/अटरू. खनन विभाग ने गुरुवार को जिले के पिपलोद गांव में निजी जमीन से अवैध रूप से पत्थर खनन करने के आरोप में चार खातेदारों पर 15 करोड़ 80 लाख रुपए का जुर्माना किया है। इनमें एक खातेदार बारां नगर परिषद के सभापति का पुत्र है, जबकि अन्य भी कांग्रेस नेताओं के नजदीकी बताए। चारों के खिलाफ अवैध रूप से खनन कर पत्थर चोरी करने के आरोप में अटरू थाने पर मुकदमा भी दर्ज हुआ है। शिकायत के बाद उच्चाधिकारियों के निर्देश पर पर कोटा व बारां की दो सदस्यीय टीम गुरुवार को मौके पर पहुंची थी। बारां जिले में पहली बार अवैध खनन के मामले में इतनी बड़ी राशि का जुर्माना किया गया है।
खनिज विभाग के खनि कार्यादेशक सुधांशु उपाध्याय ने बताया कि विभाग की टीम मौके पर पहुंची तो वहां बड़ी मात्रा में पत्थरों का अवैध खनन पाया गया। इस पर क्षेत्र का सर्वे कर नियमानुसार कार्रवाई की गई। बारां नगर परिषद के सभापति ज्योति पारस के पुत्र लव पारस, बारां निवासी धीरज शर्मा, कुंजेड़ निवासी अफ सर अली और पिपलोद निवासी अमन इस जमीन के खातेदार है। निजी जमीन से बिना अनुमति अवैध खनन करने पर चारों सहखातेदारों को आरोपी बनाते हुए इन चारों के खिलाफ 15 करोड़ 80 लाख रुपए का जुर्माना किया गया।
दस गुना जुर्माना
लगाने का है नियम
विभाग के सूत्रों का कहना है कि खनन किए गए पत्थर की लागत का अनुमानित आकलन कर उस राशि का दस गुना जुर्माने का प्रावधान है। जुर्माना की गई राशि के अनुसार करीब 1.6 करोड़ का पत्थर खनन कर निकाला गया। इस पर दस गुना करीब 16 करोड़ की राशि का जुर्माना किया गया है। इस कार्रवाई से अवैध खननकर्ताओं में हडक़म्प मच गया है। खनन किया पत्थर पास ही स्थित एक क्रेशर पर जाता था। फिलहाल खनन किए गए पत्थर के उपयोग आदि के सम्बंध में जांच की जा रही है।
एक हेक्टेयर में बना दिए गहरे गड्ढे
खननकर्ताओं ने करीब 1.1 हैक्टेयर जमीन पर दिनरात जेसीबी चलाकर खुदाई की। इससे जमीन पर गहरे गड्ढे बन गए। गड्ढों से जलधारा फूट आई। इससे वहां तालाब सा नजारा बना हुआ है। पत्थरों की चट्टानें भी साफ दिखाई दे रही है।
चुनाव के बाद उजागर हुआ था मामला
सूत्रों का कहना है कि दिसम्बर में प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के कुछ दिनों बाद ही विभाग को मिली उच्च स्तरीय शिकायत पर जांच शुरू की गई थी। इसकी भनक लगते ही क्रेशर संचालकों में हडक़म्प मच गया था और खुदाई से हुए गहरे गड्ढों को भरने का काम शुरू कर दिया था। उस समय तत्कालीन जिला कलक्टर नरेन्द्र गुप्ता ने खनन विभाग की ओर से पीपलोद स्थित एक क्रेशर पर जांच किए जाने की बात कही थी। वहीं विभागीय अधिकारियों ने भी जांच लम्बित होना बताते हुए खुलासा नहीं किया था।
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