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सडक़ों पर श्वान हो रहे ङ्क्षहसक, ठंडे बस्ते में नसबंदी के टेण्डर

बारां. सर्दी के सीजन में इन दिनों सडक़ों पर श्वान उग्र और ङ्क्षहसक हो रहे है। पिछले एक सप्ताह में औसतन हर रोज आठ जने उनके हमले का शिकार होकर जिला अस्पताल पहुंच रहे।

बारांJan 25, 2024 / 09:09 pm

Ghanshyam

सडक़ों पर श्वान हो रहे ङ्क्षहसक, ठंडे बस्ते में नसबंदी के टेण्डर

सडक़ों पर श्वान हो रहे ङ्क्षहसक, ठंडे बस्ते में नसबंदी के टेण्डर

बारां. सर्दी के सीजन में इन दिनों सडक़ों पर श्वान उग्र और ङ्क्षहसक हो रहे है। पिछले एक सप्ताह में औसतन हर रोज आठ जने उनके हमले का शिकार होकर जिला अस्पताल पहुंच रहे। मंगलवार को ही दोपहर तक 11 जने अस्पताल में एंटी रेबीज का इंजेक्शन लगवाने के लिए जिला अस्पताल पहुंचे थे। शहर में बड़ी संख्या में श्वान सडक़ों पर घूम रहे है। नगरपरिषद की उनको पकडऩे और नसबंदी की योजना तक नहीं है। करीब डेढ़ वर्ष पहले नसबंदी के लिए नगर परिषद ने टेण्डर मां$गे थे,लेकिन टेण्डर फाइनल नहीं होने से प्रक्रिया ठंडे बस्ते में चली गई।
सर्दी में यूं होते है खूंखार
पशु चिकित्सकों के अनुसार दिसंबर और जनवरी के सर्दी के मौसम श्वान का ब्रीङ्क्षडग सीजन रहता है। तापमान में कमी रहने से आवश्यकतानुसार उनके खाने पीने की चीजों की कमी भी रहती है। इस स्थिति में स्वयं को असुरक्षित महसूस करते हुए वे आक्रामक हो जाते है। इससे श्वान के काटने की घटनाएं भी बढ़ जाती है।
न्यायालय ने कहा था
जानकारों के अनुसार करीब डेढ़ वर्ष पहले एक जनहित याचिका पर संज्ञान लेते हुए न्यायालय ने तत्कालीन नगरपरिषद आयुक्त ङ्क्षरकल गुप्ता को तलब किया था। उन्हें सडक़ों पर घूमने वाले श्वानों के सम्बन्ध में नियमानुसार कार्रवाई करने के आदेश दिए थे। इस पर नगरपरिषद की ओर से स्ट्रीट डॉग के बधियाकरण के लिए टेण्डर भी आमंत्रित किए गए थे। कुछ संवेदकों ने टेण्डर भी डाले थे। टेण्डर खोले भी गए थे, लेकिन संवेदक को कार्यादेश नहीं दिए गए और मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
यूं बरते सावधानी
चिकित्सकों के अनुसार बच्चों को श्वान से दूरी बनाकर चलने के लिए समझाना चाहिए। मादा श्वान के पास बच्चे होने पर उससे भी दूरी बनाकर रहना चाहिए। वह बच्चों की सुरक्षा के लिए हमला कर सकती है। आते-जाते श्वान से किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं करें। श्वान के काटने पर उसकी निगरानी रखें और तत्काल चिकित्सक से उपचार परामर्श लें। जिला अस्पताल में इसके लिए अलग से एंटी रेबीज क्लिनिक कमरा नम्बर 16 में संचालित है।
& सडक़ों पर घूम रहे श्वान पकडऩे, बधियाकरण और उनसे बचाव के लिए एंटी रेबीज टीके लगाने के लिए पशु पालन विभाग की ओर से किसी तरह की व्यवस्था नहीं दी हुई है।
हरिवल्लभ मीणा, संयुक्त निदेशक पशु पालन विभाग
& पिछले दो माह से शहर में श्वान के काटने की शिकायत नगरपरिषद को नहीं मिली है। करीब डेढ़ वर्ष पहले टेंडर प्रक्रिया की थी, लेकिन स्ट्रीट डॉग के वास्तविक आंकड़े नहीं होने से टेंडर फ इनल नहीं हुए।
ज्योति पारस, सभापति, नगरपरिषद
& तेज सर्दी और पर्याप्त खाने.पीने की चीजें नहीं मिलने के कारण स्ट्रीट डॉग आक्रामक हो जाते है। इनके साथ अच्छा बर्ताव करना चाहिए।
डॉ. लक्ष्मण नागर, सेवानिवृत्त उपनिदेशक, पशु पालन विभाग

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