दरअसल टीबी रोगियों को बीमारी की पहचान के बाद छह माह तक दवा खानी होती है। अक्सर देखा जाता था कि इस पूरी अवधि में रोगी लगातार दवा नहीं खाते थे। इसको देखते हुए जनवरी 2018 में केंद्र सरकार ने रोगियों के लिए यह स्कीम घोषित की। इसमें रोगी को हर महीने पांच सौ रुपये दिए जाने थे। इस स्कीम के तहत बैंक अकाउंट में पैसा भेजने के काम में एसटीएलएस पद पर कार्यरत संविदाकर्मी वीरेंद्र कुमार को लगाया गया, लेकिन उसने मरीजों के बैंक खातों में रकम भेजने के बजाए अपने और दूसरे सहयोगी के बैंक खातों में यह रकम भेज दी।
संविदाकर्मी बर्खास्तजिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. एके वर्मा ने बताया कि ‘निश्चय पोषण योजना’ के अंतर्गत टीबी रोगियों को हर महीने पांच सौ रुपये दिए जाने थे। लेकिन, एसटीएलएस पद पर कार्यरत संविदाकर्मी वीरेंद्र कुमार ने मरीजों के बैंक खातों में रकम भेजने के बजाय अपने और दूसरे सहयोगी के बैंक खातों में यह रकम भेज दी। यह मामला डीएम डॉ. आदर्श सिंह के संज्ञान में आया तो उन्होंने आरोपित संविदाकर्मी पर मुकदमा दर्ज कराने के साथ ही उसकी बर्खास्तगी के भी आदेश दिए।