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ये पौधे देते हैं दोहरा लाभ, तेल निकालने के बाद अवशेष से बनती है अगरबत्ती और धूपबत्ती

locationबाराबंकीPublished: Mar 27, 2019 08:46:32 am

कार्यशाला का आयोजन बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के बायोमेडिकल साइंस विभाग तथा भारत सरकार के खुशबू एवं स्वाद विकास केन्द्र कन्नौज द्वारा किया गया…

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ये पौधे देते हैं दोहरा लाभ, तेल निकालने के बाद अवशेष से बनती है अगरबत्ती और धूपबत्ती

झांसी. भारत सरकार के बायोटेक्नोलॉजी विभाग द्वारा बुन्देलखण्ड में औषधीय एवं सगन्ध पौधों के उत्पादन से संबंधित बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के बायोमेडिकल विभाग को स्वीकृत परियोजना के अन्तर्गत संगन्ध पौधों के अवशेष पदार्थों से अगरबत्ती व धूपबत्ती बनाने की कार्यशाला का शुभारंभ बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में हुआ। कार्यशाला का आयोजन बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के बायोमेडिकल साइंस विभाग तथा भारत सरकार के खुशबू एवं स्वाद विकास केन्द्र (एफ.एफ.डी.सी.) कन्नौज द्वारा किया गया। इसमें विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जे.वी. वैश्यमपाइयम ने कहा कि परियोजना बुन्देलखण्ड के विकास में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करेगी। परियोजना के माध्यम से समाज के विभिन्न वर्ग के लोग जैसे कृषक एवं भूमिहीन मजदूर विश्वविद्यालय की शोध विधाओं का लाभ उठा सकेंगे। लेमनग्राम, रोजाग्रास, तुलसी खस इत्यादि पौधों से तेल निकालने के बाद अवशेष सामग्री से अगरबत्ती, धूपबत्ती बनाने से आजीविका उपार्जन होगा तथा इस परियोजना से जुड़े सामान्य जन मानस को लाभ पहुंचेगा।
रोजगार सृजन की है अपार संभावनाएं

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एफ.एफ.डी.सी. के निदेशक डा. एस.वी. शुक्ल ने अपने संस्थान की क्रियाकलापों तथा इस परियोजना से जुड़ी विभिन्न तकनीकी जानकारियों उपलब्ध कराईं। उन्होंने कहा की बुन्देलखण्ड जैसे परिक्षेत्र के लिए इस योजना के अंतर्गत रोजगार सृजन एवं स्वावलंबन की अपार संभावनाएं हैं। कार्यक्रम में श्याम बिहारी गुप्त, सदस्य कृषक समृद्धि आयोग ने योजना को क्षेत्र के बहुमुखी विकास के लिए उपयोगी बताया। उन्होंने प्रो. एम.एम. सिंह ने विश्वविद्यालय के अन्य विभागों को इस परियोजना से जुड़ने के संबंध में जानकारी दी।
ये लोग रहे उपस्थित

बायोमेडिकल साइंस विभाग के विभागाध्यक्ष एवं परियोजना प्रभारी डा. रामवीर सिंह ने परियोजना की प्रगति आख्या प्रस्तुत की। डा. सिंह ने बताया की इस श्रृंखला में बुंदेलखंड के सभी जिलों में कार्यशालायें आयोजित की जाएंगी। संचालन मानसी श्रीवास्तव ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष एवं शिक्षक आदि उपस्थित रहे। इस अवसर पर परियोजना से जुडे़ पंकज सागर, सुश्री सुमीरन श्रीवास्तव, धीरज गुर्जर, रवीन्द्र वर्मा, नेहा गंगवार, अमित, रामजी, निपुण पाण्डे, श्वेता पाण्डे समेत अनेक लोगों ने कार्यक्रम में सहयोग किया।
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