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राजस्थान का रण : बांसवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में लंबे चौड़े दावों के बीच विकास के साथ रेल का पहिया थमने का दर्द

locationबांसवाड़ाPublished: Nov 11, 2018 11:41:58 am

Submitted by:

Varun Bhatt

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राजस्थान का रण : बांसवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में लंबे चौड़े दावों के बीच विकास के साथ रेल का पहिया थमने का दर्द

वरुण भट्ट. बांसवाड़ा. जिले की पांच विधानसभा क्षेत्रों में बांसवाड़ा विधानसभा क्षेत्र राजनीतिक मायनों में काफी अहमियत वाला रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री स्व. हरिदेव जोशी इस सीट से लगातार सात बार जीते और इस दौरान तीन बार मुख्यमंत्री के रूप में प्रदेश की कमान संभाली। उनकी मृत्यु के बाद कांग्रेस की गढ़ मानी जाने वाली इस सीट पर भाजपा ने पहली बार 2003 के चुनाव में जीत दर्ज की। 2008 में फिर कांग्रेस ने कब्जा किया एवं वर्ष 2013 में भाजपा ने इस सीट पर जीत दर्ज की। बांसवाड़ा में विकास के दावे हकीकत की धरातल पर नहीं उतर पाए। आजादी से पहले से संजोया हुआ रेल का सपना था, जो माही बांध की तरह सदियों तक वागडवासियों के जेहन में बस सकता था, लेकिन सपना बीच राह में टूटने का दर्द हरेक को साल रहा है। दामन पर गंदे शहर का दाग नहीं हटा। साल दर साल सडक़ें दर्द देती रहीं। सुदूर इलाकों की बात तो दूर मंत्री के अपने घर के बाहर सडक़ से घटिया निर्माण की बू उठी । अब चुनावी मौसम के बीच दर्द पर मरहम की कोशिशें जरूर हो रही हैं।
चुनावी मौसम में सुबह के वक्त विधानसभा क्षेत्र के शहरी हिस्से से यात्रा शुरू की। राज्य मंत्री एवं विधायक धनसिंह रावत के घर के आसपास की लाखों की खस्ताहाल सडक़ गड़बड़ी की ओर इशारा कर रही थी। इसके इतर पांच वर्षों तक शहर की खस्ताहाल सडक़ के दर्द के बाद अब चुनाव के नजदीक आने के साथ ही शहर में जगह-जगह डामरीकरण होता दिखाई दिया। कलक्टरी से पाला रोड तक अस्तव्यस्त यातायात व्यवस्था से जैसे-तैसे निकलकर आगे बढ़े तो न तो स्वच्छता की तस्वीर थी और न ही शहरी सौंदर्यीकरण का कोई काम था। जिला अस्पताल में भी संसाधनों की कमी, रैफर करने का दर्द था। शहरी सीमा से ग्रामीण क्षेत्र की ओर बढ़ा तो ठीकरिया के समीप ही कृषि मण्डी खामोश थी। ये वो ही मण्डी है जिसे शुरू करने के वादे विधायक के साथ-साथ कृषि मंत्री भी कर चुके थे, लेकिन अब तक कोई नतीजा नही निकलने से किसान भी छला महसूस कर रहा है।
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आगे ग्रामीण क्षेत्रों के गौरव पथ ने सुकून का आभास कराया, लेकिन बांसवाड़ा जिले के विकास की महत्वपूर्ण कड़ी माने जाने वाली रेलवे परियोजना के बंद कामकाज ने मायूस भी किया। दिनभर के सफर में सामने आया कि ग्रामीण क्षेत्रों में व्यक्तिगत लाभ की योजनाओं से कुछ चेहरे खिले हुए थे। सिटी ऑफ हंड्रेड आइलैण्ड को विकसित करने, पेयजल की करोड़ों की योजनाओं की मंजूरी भविष्य में सुकून जरूर देंगी, जिले में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में जनजाति विश्व विद्यालय का स्थानांतरण, माही की जर्जर नहरों के लिए बजट , ग्रामीण गौरव पथ जैसी उपलब्धियों की चर्चा भी सुनने को मिलती हैं लेकिन शुद्ध पेयजल का अभाव, रोजगार के लिए मध्यप्रदेश पलायन, ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधाओं, यातायात के साधनों का अभाव जैसे हालातों का दर्द आज भी ग्रामीणों को सता रहा है।
विधायक व प्रतिद्वंद्वी रहे जनता के बीच
क्षेत्र से विधायक व राज्य मंत्री धनसिंह रावत हैं। वे क्षेत्र में सक्रिय रहे। इसी प्रकार प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के अर्जुन बामनिया भी क्षेत्र में जनता के बीच ही रहे। सामाजिक, धार्मिक कार्यक्रमों में उनकी उपस्थिति नजर आती रही।
रावत बोल से बने रहे सुर्खियों में
राज्य मंत्री एवं क्षेत्रीय विधायक धनसिंह रावत को सरकार ने पांच वर्ष के कार्यकाल के बीच में राज्य मंत्री का तोहफा दिया। वे अब तक के कार्यकाल में जनता के बीच तो लगातार बने रहे, लेकिन विवादित बयानों से वे पूरे कार्यकाल में सुर्खियों में बने रहे। इसके अलावा शहर विकास नगरपरिषद में भाजपा का बोर्ड होने के बावजूद आपसी खींचतान से नही हो पाया।
विपक्ष की भूमिका तक सीमित
प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के अर्जुन बामनिया पांच वर्षों में पार्टी के राज्य एवं केंद्रीय नेतृत्व की ओर से तय प्रदर्शन एवं कार्यक्रमों तक सीमित रहे। हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में वे जनता के बीच कई बार देखे गए। उन्होंने चुनाव के वक्त पेयजल सुविधा, शहर विकास, सडक़, रेलवे सहित अन्य वादे किए थे, लेकिन पराजित होने से वे इसके लिए काम नहीं कर पाए।
रेल और शहर सौंदर्यीकरण बड़ा मुद्दा
बांसवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में रेलवे परियोजना के साथ-साथ शहरी सौंदर्यीकरण बड़ा मुद्दा है। इसके अलावा शहर में अपराध भी बढ़ रहे है। चिकित्सकों के रिक्त पद, रोजगार, खस्ताहाल सडक़ें सहित अन्य मुद्दे भी है, जिसमें केवल वादे ही हुए है, धरातल पर कुछ काम नहीं हो पाया हैं।
ये मुद्दे और यह रही चाल
शहर के सौंदर्यीकरण के लिए कुछ नहीं हुआ। पांच वर्षों तक खस्ताहाल सडक़ें दर्द देती रहीं। अब चुनाव के वक्त शहर व जिले की सडक़ें ठीक हो रही हंै। जिला अस्पताल में चिकित्सक पहले की तुलना में बढ़े हंै,लेकिन संसाधनों की कमी आज भी है। रैफर का दर्द है। एमसीएच विंग का उद्घाटन जरूर करवाया। माही की नहरों, पेयजल के लिए योजनाएं स्वीकृत कराई, लेकिन पूरी तरह धरातल पर नहीं उतर पाई। बांसवाड़ा शहर के मध्य मिनी सचिवालय भी बन नहीं पाया।
कृषि उपज मण्डी नहीं शुरू हो पाई।
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