scriptराजकीय कॉलेजों में पुस्तकों के दान का नहीं हो रहा सम्मान, लाखों किताबें खा रही धूल, कट-फट कर हो रही बर्बाद | The library does not have the facility to handle books | Patrika News

राजकीय कॉलेजों में पुस्तकों के दान का नहीं हो रहा सम्मान, लाखों किताबें खा रही धूल, कट-फट कर हो रही बर्बाद

locationबांसवाड़ाPublished: Sep 21, 2019 03:47:37 pm

Submitted by:

Varun Bhatt

– Community Book Bank, Govind Guru College Banswara
– सामने सरस्वती ‘वंदना’ के सुर, पीछे बेकद्री की दर्दभरी ‘वीणा’ की गूंज- पुस्तकालयों में मौजूद लाखों किताबों का कोई धणी धौरी नहीं- आयुक्तालय ने कॉलेजों में शुरू की ‘कम्युनिटी बुक बैंक’ योजना

राजकीय कॉलेजों में पुस्तकों के दान का नहीं हो रहा सम्मान, लाखों किताबें खा रही धूल, कट-फट कर हो रही बर्बाद

राजकीय कॉलेजों में पुस्तकों के दान का नहीं हो रहा सम्मान, लाखों किताबें खा रही धूल, कट-फट कर हो रही बर्बाद

योगेश कुमार शर्मा/बांसवाड़ा. सरस्वती की वंदना जितनी हो उतना ही अच्च्छा। इसी मंशा से राजकीय महाविद्यालयों में पुरानी पुस्तकों के दान की व्यवस्था सरस्वती के मान सम्मान और कद्र की दिशा में अच्छी पहल है, लेकिन दूसरा स्याह पक्ष यह है कि कॉलेजों में पड़ी लाखों पुस्तकों की ठीक से रखने और सारसंभाल की कोई व्यवस्था नहीं है और ये धूल खा रही हैं, कट फट कर और सीलन की भेंट चढकऱ बर्बाद हो रही हैं। महाविद्यालयों में पुस्तकालयध्क्ष सहित अन्य पद रिक्त होने से हजारों किताबों का कोई धणी-धौरी नहीं है। वर्तमान में संचालित महाविद्यालयों के अनुपात में पुस्तकालध्यक्ष के पद ही कम स्वीकृत हैं और जहां स्वीकृत भी हैं तो वह लम्बे समय से रिक्त चल रहे हैं।
यह है योजना
कॉलेज आयुक्तालय ने ‘कम्युनिटी बुक बैंक’ योजना शुरू की है। इसके तहत हर कॉलेज अपने स्तर पर पूर्व विद्यार्थियों को किताबें दान करने के लिए पे्ररित करेगा। जन सहयोग से भी पुस्तकें ली जाएंगी। प्राप्त किताबों से महाविद्यालयों में ‘सामुदायिक पुस्तक शाला’ कक्ष स्थापित किया जाएगा।
#BitiyaAtWork : माता-पिता के दफ्तर पहुंचकर बेटियों का दिन बन गया खास, पेरेंट्स की अहमियत का हुआ आभास

गोविंदगुरु कॉलेज में 75 हजार किताबें, रखने की भी जगह नहीं
श्री गोविन्द गुरु राजकीय महाविद्यालय, बांसवाड़ा में स्थित पुस्तकालय का हाल कुछ ऐसा ही है। यहां करीब 75 हजार पुस्तकें हैं। पर, पुस्तकालय भवन की ‘खराब सेहत’ पुस्तकों पर भारी पड़ती दिख रही है। इन्हें ठीक से रखने तक की जगह नहीं है और पूरे भवन में पानी टपकता है। इसके चलते किताबें सीलन की चपेट में हैं और अनुपायोगी होने की कगार पर जा पहुंची हैं।
फैक्ट फाइल
300 सरकारी कॉलेज हैं प्रदेश में
289 संचालित हैं इनमें से

ये किताबें ली जाएंगी
कॉलेज में संचालित विश्वविद्यालय के नियमित पाठ्यक्रम से संबंधित पुस्तकें, जो फटी हुई या 3 वर्ष से अधिक पुरानी न हों। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी संबंधी किताबें। करंट अफेयर्स की किताबें एक वर्ष से अधिक पुरानी और सामान्य ज्ञान की दो वर्ष से अधिक पुरानी न हों।
जल्द करेंगे सुधार
महाविद्यालय में उपलब्ध पुस्तकों की ठीक से सार-संभाल होगी। जहां भी समस्या आ रही है वहां व्यवस्थाओं के निर्देश देंगे। किताबें उपयोगी बनी रहें इसका पूरा प्रयास करेंगे।
प्रदीप कुमार बोरड़, आयुक्त कॉलेज शिक्षा

ट्रेंडिंग वीडियो