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बांसवाड़ा

‘मोर’ गांव के युवाओं ने मेहनत और लगन से पाया सफलता का मुकाम, सरकारी नौकरी पाने और कुरीतियां मिटाने का कर रहे काम

प्रतिभा से भरा गांव, युवाओं ने कायम की मिसाल, कभी गिनती के सरकारी मुलाजिम होते थे गांव में, अब पूरे जिले के युवाओं को दे रहा सफलता का पैगाम

बांसवाड़ाJul 09, 2019 / 06:26 pm

Varun Bhatt

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‘मोर’ गांव के युवाओं ने मेहनत और लगन से पाया सफलता का मुकाम, सरकारी नौकरी पाने और कुरीतियां मिटाने का कर रहे काम

आशीष बाजपेई. बांसवाड़ा. प्रतिस्पर्धा के इस दौर में सरकारी नौकरी पाना आसान नहीं रहा है, लेकिन जिले के मोर गांव के मेहनतकश युवाओं ने इसमें जैसे महारथ हासिल कर ली है। ज्यादा समय नहीं बीता। एक डेढ़ दशक पूर्व तक इस गांव में सरकारी नौकरियों में गिनती के लोग थे, लेकिन आज सरकारी मुलाजिमों की पूरी फौज तैयार हो गई है। कारवां यहीं थमा नहीं है, निरंतर आगे बढ़ रहा है। और दूसरों के लिए मिसाल भी बना रहा।
संभाग के 17 गांवों में जगी अलख
गांव के वरिष्ठ समाजजन शांतिलाल लबाना ने बताया कि मोर गांव में युवाओं की सफलता को देख उदयपुर संभाग में लबाना समाज के 17 गांव में भी शिक्षा के प्रति विशेष अलख जगी है। युवा और समाजजन आर्थिक रूप से कमजोर युवाओं की मदद भी करते हैं ताकि वे सफल हो सकें और सरकारी नौकरी पा सकें। समाजजनों के सहयोग से युवाओं को शिक्षा में सुविधा के लिए उदयपुर में छात्रावास का निर्माण भी करवाया गया। जो युवाओं के लिए बेहतर रहेगा।
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10 वर्षों में गांव के तैंतीस युवा आए सरकारी सेवा में
वर्ष 2008 में गांव के महज 9- 10 लोग ही सरकारी सेवा में थे, लेकिन गांव के कुछ युवाओं के प्रयास के बूते आज 33 युवक-युवतियां पुलिस, शिक्षा विभाग सहित अन्य महकमों में सेवारत हैं।
पहले पुलिसकर्मी गणेश बने प्रेरणा के स्रोत
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरों में कार्यरत गणेश लबाना और उनके भाई प्रकाश गांव के पहले ऐसे युवा बने जिन्होंने वर्ष 2006 में पुलिस महकमे में नौकरी पाई। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद वर्ष 2008 से गणेश ने समाज के अन्य युवाओं को प्रेरित करने का मन बनाया। आजाद युवा संगठन के बैनर तले युवाओं को आगे बढ़ाने का काम किया लम्बी मशक्कत के बाद वे सफल हुए और नतीजा सामने है।
युवाओं को देते हैं मार्गदर्शन
आजाद युवा संगठन के पूर्व अध्यक्ष गणेश लबाना ने बताया कि समाज के युवाओं को शिक्षा और रोजगार से जोडऩे के उद्देश्य के लिए समाजजनों की ओर से सदैव विशेष सहयोग मिला है। प्रतियोगी परीक्षाओं से पूर्व संगठन की ओर से उन्हें शिविर में मार्गदर्शन और शिक्षा से जुड़ी सामग्रियां मसलन नोट्स आदि दिए जाते हंैं। जिससे युवाओं को काफी सहयोग मिलता है।
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