केस एक….मौत के दो माह बाद ली पॉलिसी
पड़ोली गोरधन के कालूराम निनामा की मृत्यु पर भाई नारू की ओर से क्लेम किया गया। दस्तावेज में कालूराम की मृत्यु 7 दिसंबर, 2021 की बताई गई। जांच से पता चला कि मृत्यु 7 अक्टूबर, 2021 को हो चुकी थी। दिवंगत की घर में लगी तस्वीर पर अंकित तारीख ने सच्चाई बता दी। नारु ने क्लेम मिलने से इनकार किया, जबकि कंपनी उसके खाते में 2 लाख का भुगतान कर चुकी थी।
केस 2…बेटी ही नहीं और क्लेम पर भुगतान भी
पलोदरा निवासी दलीचंद की ओर से बेटी रीना की मृत्यु पर बीमा क्लेम किया गया। मृत्यु 15 अक्टूबर 2021 को होना बताई गई। जांच में पता चला कि दलीचंद की रीना नाम की बेटी नहीं थी। क्लेम का भुगतान हो गया, लेकिन परिजन ने क्लेम लेने से इनकार किया।
यों किया जा रहा खेला
रिपोर्ट के अनुसार दलाल बीओबी के ऐसे खाताधारी के परिजन से संपर्क करते हैं, जिसकी हाल ही मृत्यु हुई हो। परिजन को जल्द मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं लेने और कुछ राशि का लालच देते हैं। दलाल ही मृतक के खाते से प्रीमियम का भुगतान कर बीमा पॉलिसी खरीदते थे। नॉमिनी के नाम पर नया खाता खुलवाकर सारे दस्तावेज अपने पास रख लेते थे। दो माह बाद मृत्यु प्रमाण पत्र नई तिथि में बनवाते हैं। बीमा कंपनी की ओर से पैसा नॉमिनी के खाते में आने पर दलाल उसे निकाल लेते हैं।