बांसवाड़ा के युवकों के बीच कुवैत में हुई चाकूबाजी, घायल अस्पताल में भर्ती और… प्रकरण के अनुसार 29 मार्च 2010 की शाम करीब साढ़े छह बजे डाबीपाड़ा कुण्डल निवासी सोहन पुत्र रामचन्द्र मईड़ा ने महात्मा गांधी चिकित्सालय में दानपुर थाना पुलिस को सूचना दी कि वह दिन मेंं अपने पिता रामचन्द्र के साथ बाजार आया हुआ था। करीब पांच बजे उसके पिता रामचन्द्र, कड़सी निवासी वागजी पुत्र उदा कटारा तथा कुण्डल निवासी सुखराम पुत्र मानजी मईड़ा तीनों जने एक पेट्रोल पंप के पास खड़े होकर आपस में वार्तालाप कर रहे थे। ठीक उसी समय सामने से आरोपी जितेन्द्र जातिगत गाली गलौच करता हुआ रामचन्द्र के पास आया। आते ही आरोपी ने कहा कि आज तुझे खत्म कर दूंगा तू बहुत दादा बनता है। यह कहते हुए आरोपी ने चाकू निकाला और रामचन्द्र को जान से मारने की नीयत से उस पर हमनला किया। इससे रामचन्द्र थोड़ी झुका तो चाकू उसके कान पर लगा। इसके बाद आरोपी ने और भी कई बार रामचन्द्र पर वार किए। इससे चाकू रामचन्द्र के शरीर में कई जगह लगा। इस बीच वागजी एवं सुखराम ने मिलकर रामचन्द्र को आरोपी से बचाने का प्रयास किया तो वह वहां से भाग छूटा। इस पर लहूलुहान हाल में उसे हॉस्पीटल में भर्ती कराया गया। प्रकरण के अनुसार रामचन्द्र एवं आरोपी जितेन्द्र वारदात से करीब बीस दिन एक साथ घूमते थे लेकिन दोनों के मध्य किसी बात को लेकर रंजिश पैदा हो गई। इससे जितेन्द्र तैश में आ गया और उसने रामचन्द्र पर हमला कर दिया।
आरोप पत्र न्यायालय में पहुंचने और तमाम गवाहों को सुनने तथा पत्रावलियों का अवलोकन करने के बाद न्यायालय अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम बांसवाड़ा के विशिष्ट न्यायाधीश पीएस तोमर ने आरोपी जितेन्द्र को दोषी माना और एक साल ग्यारह माह के कठोर कारावास की सजा और एक हजार रुपए के जुर्माना सुनाया।