अनाथ आलय के इन बच्चों की समस्या कोई एक-दो दिन में नहीं उपजी है, बल्कि बच्चे तकरीबन 20 दिनों से इस समस्या से जूझ रहे हैं। अनाथ आलय के कार्मिक ने बताया कि 15 से 20 दिन पूर्व गृह के 5-6 बच्चों में यह समस्या हुई थी। तब बीमारों का उपचार करा दिया गया था। और अब कई बच्चों को बीमारी हो गई।
अनाथ आलय प्रबंधन की लापरवाही के कारण बच्चों की स्वास्थ्य संबंधी समस्या इतनी विकट हो गई कि बच्चों के शरीर पर चकत्ते और दाने हो गए हैं। जिनसे अब खून रिसता नजर आता है। पांच-छह वर्ष उम्र के इन बच्चों के हाथों में बड़े-बड़े दाने नजर आते हैं। असहनीय पीड़ा के कारण ये मासूम नहाने धोने तक को मजबूर हैं।
बच्चों की बीमारी को लेकर वार्डन ने बताया कि बच्चों को पूर्व में भी समस्या हुई थी, तब उपचार कराया गया था। लेकिन बच्चे गांव में जाते हैं और वहां फिर बीमार हो जाते हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि गृह में साफ-सफाई का पूर्ण ध्यान रखा जाता है। और बच्चों की किसी समस्या के प्रति सभी कार्मिक काफी सचेत भी रहते हैं। ताकि बच्चों को कोई समस्या न हो।
अनाथालय प्रबंधन एक ओर जहां साफ-सफाई का दावा करता है। वहीं, असलियत बिल्कुल जुदा है। सच्चाई तो यह है कि बच्चों के निवास स्थान पर गंदगी का अंबार लगा है। परिसर के एक कोने में कचरे का ढेर और वॉशबेसिन में गंदगी का अंबार है। पक्के फर्श पर धूल की परत चलने पर मसहूस होती है। जो प्रबंधन के साफ-सफाई के दावों की असलियत उजागर करती है।