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बांसवाड़ा

बांसवाड़ा. और खता क्या है मेरी, कुछ पता ही नहीं’

बांसवाड़ा. ‘जिन्दगी से बड़ी सजा ही नहीं, और खता क्या है मेरी, कुछ पता ही नहीं…।’ कुछ एेसे ही भावों के बीच श्री गोविंद गुरु विश्वविद्यालय से संबद्ध बांसवाड़ा, डूंगरपुर और प्रतापगढ़ जिले के शताधिक महाविद्यालयों के प्राचार्य समागम में प्राचार्यों ने अपनी समस्याएं रखीं तो कुछ ने बेहतर सुझाव व समाधान भी प्रस्तुत किए।

बांसवाड़ाFeb 11, 2020 / 02:16 am

Yogesh Kumar Sharma

बांसवाड़ा. और खता क्या है मेरी, कुछ पता ही नहीं’

बांसवाड़ा. और खता क्या है मेरी, कुछ पता ही नहीं’

बांसवाड़ा. ‘जिन्दगी से बड़ी सजा ही नहीं, और खता क्या है मेरी, कुछ पता ही नहीं…।’ कुछ एेसे ही भावों के बीच श्री गोविंद गुरु विश्वविद्यालय से संबद्ध बांसवाड़ा, डूंगरपुर और प्रतापगढ़ जिले के शताधिक महाविद्यालयों के प्राचार्य समागम में प्राचार्यों ने अपनी समस्याएं रखीं तो कुछ ने बेहतर सुझाव व समाधान भी प्रस्तुत किए।
जीजीटीयू के प्रशासनिक भवन में सोमवार दोपहर बाद प्राचार्यों के तीसरे वार्षिक समागम में पीपलखूंट से आए प्राचार्य ने वेतन नहीं बनने की समस्या उठाई तो हरिदेव जोशी कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य डा. सर्वजीत दुबे ने कहा कि संस्कृत पढ़ाने की ट्रेनिंग ली, लेकिन काम कम्प्यूटर का करना पड़ रहा है। पासवर्ड याद रखने पड़ रहे हैं। उन्होंने उक्त काव्य पंक्तियों से उदाहरण देते हुए कहा कि प्राचार्यों के सामने तनाव की स्थिति है, जिसे समय रहते दूर किया जाना चाहिए। इस पर कुलपति प्रो. कैलाश सोडानी ने आधुनिक युग में तकनीकी का विशेष उपयोग बताते हुए कॉलेज एवं विश्वविद्यालय में इससे सरल हुए कार्यों को स्पष्ट किया। समागम में भूगोल के प्रायोगिक दस्तावेज विद्यार्थी को लौटाने और इसकी पुनरावृत्ति होने, उडऩदस्तों की संख्या कम होने से परीक्षार्थी की पूरी जांच नहीं हो पाने जैसी समस्याओं को भी रखा गया।
लिखित में दें सुझाव
अध्यक्षता करते हुए कुलपति ने विवि की सफलता का श्रेय प्राचार्यों की निष्ठा व सहभागिता को देते हुए कहा कि जो भी नवाचार किए गए, उनकी सफलता के पीछे प्राचार्यों का सहयोग भी है। पाठ्यक्रम से संबंधित सुझाव प्राचार्यों से लिखित में देने का आह्वान करते हुए उन्होंने बताया कि पाठ्यक्रम सहज और अद्यतन हो, इसकी जिम्मेदारी विवि की है। उन्होंने घूमंतू जाति पर आगामी दिनों में प्रस्तावित कार्यक्रम और दो स्मारिकाओं के प्रकाशन की भी जानकारी दी। साथ ही कॉलेजों के कार्यक्रम में कुलगीत व राष्ट्रगान की अनिवार्यता पर जोर दिया।
पहले जारी हो परिणाम
उन्होंने आगामी मुख्य परीक्षा के लिए प्राचार्यो से पूरी ऊर्जा के साथ कार्य करने का आह्वान कर कहा कि इस वर्ष भी यूनिवर्सिटी परीक्षा परिणाम सबसे पहले जारी करने का प्रयास करेगी। प्रभारी अधिकारी डॉ. लक्ष्मणलाल परमार ने भूगोल प्रायोगिक परीक्षा के विषय में विभिन्न जानकारियां दी।
पैकिंग स्लिप ऑनलाइन
परीक्षा नियंत्रक नरेंद्र पानेरी ने पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन से विश्वविद्यालय परीक्षा की जानकारियां दीं। उन्होंने बताया कि इस बार विश्वविद्यालय उत्तर पुस्तिकाओं की पैकिंग पद्धति में भी ऑनलाइन तकनीक का प्रयोग कर पैकिंग स्लिप ऑनलाइन ही जेनरेट करेगा। उसी आधार पर उत्तर पुस्तिकाओं की पैकिंग की जाएगी। परीक्षाओं में विभिन्न प्रश्न पत्रों की पद्धति की जानकारी देते हुए बताया कि बकाया प्रश्न पत्रों की परीक्षा गत सत्र के पाठ्यक्रम अनुसार होगी। इसी सत्र में प्रारंभ किए नवीन पाठ्यक्रम की परीक्षा स्नातक प्रथम वर्ष एवं स्नातकोत्तर पूर्वार्ध के लिए लागू होगा। संचालन डॉ. नरेंद्र पानेरी ने किया। आभार कुलसचिव गोविंदसिंह देवड़ा ने व्यक्त किया।
इस बार यह खास
इस वर्ष विवि की परीक्षा में करीब एक लाख परीक्षार्थी भाग लेंगे। समागम में बताया कि विवि ने इस वर्ष के परीक्षा सहित अन्य नवाचार किए हैं। इसमें पहली बार भूगोल प्रायोगिक परीक्षा (प्रथम वर्ष) सभी जिलों में एक साथ 17 फरवरी को होगी। पहली बार कला, वाणिज्य और विज्ञान के पूर्णांक अर्थात अंकतालिका का सर्व योग समान होगा। विज्ञान में प्रायोगिक के अंकों को अन्य संकायों के समानांतर किया है।

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