वार्डों के पुनर्सीमांकन व पुनर्गठन को लेकर मुख्य नगरपालिका अधिकारी को प्राधिकृत अधिकारी के रूप में कार्य करने के लिए अधिकृत किया गया है। उन्हें नगर नियोजक, सहायक नगर नियोजक व अन्य कार्मिकों के सहयोग से तय अवधि में यह कार्य करने के लिए पाबंद किया गया है। इसके अतिरिक्त वार्डों के प्रस्ताव, प्रस्तावों की जांच, वार्डों का राजपत्र में आरंभिक प्रकाशन, दावे और आपत्तियों का निस्तारण कर राज्य सरकार से अनुमोदन कराने आदि की जिम्मेदारी भी मुख्य नगरपालिका अधिकारी की रहेगी।
आयुक्त व अधिशासी अधिकारी को वार्डों में पुनर्सीमांकन के प्रस्ताव तैयार करने और प्रकाशन 10 जून से चार जुलाई तक करना होगा। पांच से 15 जुलाई तक पुनर्सीमांकन के प्रस्तावों पर आपत्ति आमंत्रित और प्राप्त की जाएगी। नक्शे के साथ वार्ड गठन प्रस्ताव और प्राप्त दावे व आपत्ति पर टिप्पणी सरकार को 16 से 22 जुलाई के बीच भेजनी होगी। 23 जुलाई से छह अगस्त तक राज्य सरकार को आपत्तियों का निस्तारण और प्रस्तावों का अनुमोदन करना होगा। सात अगस्त से 19 अगस्त से बीच राज्य सरकार को पुनर्सीमांकित वार्डों का राजपत्र में प्रकाशन करना होगा।
बांसवाड़ा नगर परिषद के वार्डों की सख्ंया 60 होने के साथ ही इसके क्रमोन्नत होकर निगम बनने की भी उम्मीद बंधेगी। वर्तमान में संभाग मुख्यालय उदयपुर में 55 वार्ड हैं और वहां नगर निगम है। ऐसे में वार्ड की संख्या को आधार मानें तो आने वाले समय में बांसवाड़ा नगर परिषद निगम का दर्जा हासिल कर सकेगा।
वार्डों के निर्धारण के साथ ही जिले में पहली बार तीन निकायों के चुनाव होंगे। जिले में पहले नगर परिषद बांसवाड़ा और कुशलगढ़ नगरपालिका थी। पिछली भाजपा सरकार ने परतापुर-गढ़ी को नगर पालिका घोषित किया था। इसके बाद अब जिले में तीन नगर निकाय हो गए हैं। इनमें बांसवाड़ा नगर परिषद और परतापुर गढ़ी के लिए आगामी नवम्बर-दिसम्बर में चुनाव प्रस्तावित हैं। वहीं कुशलगढ़ नगर पालिका के चुनाव में अभी एक वर्ष शेष है।
वार्ड पुनर्गठन के बाद आने वाले निकाय चुनाव में राजनीतिक समीकरण बदलने तय हैं। हालांकि सभापति का चुनाव प्रत्यक्ष होना है, लेकिन पार्षद बनने का ख्वाब संजो रहे राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं के लिए परिसीमन के बाद हार-जीत के पूर्वानुमान बदल सकते हैं। यह भी संभव है कि अब तक एक ही बूथ पर वोट कर रहे मतदाता भविष्य में अलग-अलग वार्डों में बंट सकते हैं। इसके अलावा वार्डों के पुनर्गठन से अब वार्ड का क्षेत्रफल पहले की तुलना में छोटा होगा। मतदाता भी कम होंगे। ऐेसे में भविष्य में विकास के लिए आने वाले बजट में वार्ड में अधिक विकास कार्य हो सकेंगे।