डॉ मंजूनाथ का मुकाबला कांग्रेस के डी.के. सुरेश से होगा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के भाई सुरेश पिछली चुनाव में राज्य से जीते कांग्रेस के एकमात्र सांसद हैं। बेंगलूरु ग्रामीण क्षेत्र को डीके बंधुओं का गढ़ माना जाता है और वोक्कालिगा बहुल इस क्षेत्र में भाजपा काफी समय से पांव जमाने की कोशिश कर रही है।
बताया जाता है कि कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने डॉ. मंजूनाथ को भाजपा के टिकट पर राजनीति में आने के लिए मनाया। कुमारस्वामी विधानसभा चुनाव में अपने बेटे निखिल कुमारस्वामी की हार का हिसाब बराबर करना चाहते हैं। पिछले साल हुए चुनाव में रामनगर विधानसभा सीट से निखिल कुमारस्वामी के खिलाफ अपने विश्वासपात्र इकबाल अंसारी की जीत सुनिश्चित करने के लिए शिवकुमार ने पूरी ताकत लगा दी थी, जिसके कारण जद-एस का सुरक्षित गढ़ होने के बावजूद निखिल को हार का सामना करना पड़ा था। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद उपमुख्यमंत्री शिवकुमार राज्य में वोक्कालिगा चेहरे के रूप में उभरे जबकि राजनीति हलको में यह माना जाता है कि पहले प्रभावशाली वोक्कालिगा समुदाय देवेगौड़ा परिवार के पीछे लामबंद होता था। इस बीच, कुमारस्वामी ने हासन में कहा कि भाजपा आलाकमान ने उन्हें डॉ. मंजूनाथ को लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए मनाने के लिए कहा था।
सूत्रों ने कहा कि डॉ. मंजूनाथ ने शुरू में बेंगलूरु उत्तर सीट से टिकट मांगा था, लेकिन चूंकि यह भाजपा का गढ़ है, इसलिए पार्टी ने इनकार कर दिया। सूत्रों ने बताया कि बाद में कुमारस्वामी ने उन्हें शिवकुमार के भाई के खिलाफ भाजपा के टिकट पर मैदान में उतारने का फैसला किया।
इस साल जनवरी में सेवानिवृत्त होने से पहले मंजूनाथ ने 17 साल तक राज्य के सरकारी जयदेव इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोवास्कुलर साइंसेज एंड रिसर्च के निदेशक रहे। जद-एस सुप्रीमो देवेगौड़ा ने भी पहले कहा था कि वे किसी भी कीमत पर डॉ मंजूनाथ को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं देंगे। हाल ही में उन्होंने सार्वजनिक तौर पर मंजूनाथ को राजनीति में न आने की सलाह दी थी। कुमारस्वामी ने बेंगलूरु ग्रामीण क्षेत्र के जद-एस नेताओं के साथ बैठक के दौरान कहा कि उन्होंने रविवार को अपने पिता देवेगौड़ा को मंजूनाथ को मैदान में उतारने के बारे में समझाने में दो घंटे बिताए थे।
कुमारस्वामी ने कहा, भाजपा आलाकमान ने मुझसे कहा, आपको किसी तरह अपने बहनोई को मनाना चाहिए। हमें उनकी जरूरत है. उन्होंने मुझ पर यह सुनिश्चित करने के लिए दबाव डाला कि वे चुनाव लड़ें। आज वह उसी कनकपुरा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं जिसने मुझे राजनीतिक जन्म दिया। यह आज बेंगलूरु ग्रामीण क्षेत्र है। कुमारस्वामी ने यह भी कहा था कि उनकी बहन (मंजूनाथ की पत्नी) अपने पति के राजनीति में आने से खुश नहीं हैं