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जो कल था वो आज नहीं: देवेंद्रसागर

locationबैंगलोरPublished: Oct 17, 2019 08:49:51 pm

अक्कीपेट जैन संघ में आचार्य देवेंद्रसागर ने कहा कि यह संसार क्षणभंगुर, नाशवान है। जो कल था, वह आज नहीं है और जो आज है,कल नहीं होगा।

जो कल था वो आज नहीं: देवेंद्रसागर

जो कल था वो आज नहीं: देवेंद्रसागर

बेंगलूरु. अक्कीपेट जैन संघ में आचार्य देवेंद्रसागर ने कहा कि यह संसार क्षणभंगुर, नाशवान है। जो कल था, वह आज नहीं है और जो आज है,कल नहीं होगा। संसार प्रति क्षण नाशवान और परिवर्तनशील है। फिर हम क्यों बाह्य पदार्थों में भटक रहे हैं? हमें आत्म-स्वरूप को समझकर शाश्वत सुख की ओर बढऩा चाहिए। हम अनन्त काल से संसार की क्षणभंगुरता को समझे बिना चले आ रहे है,यही हमारे जन्म-मरण और दु:ख का कारण है ।
हम विचार नहीं करते कि हम आत्मा के लिए क्या कर रहे हैं। संसार के नाशवान पदार्थ ही सब झगडों की जड़ हैं। जब तक यह चिन्तन नहीं बनेगा, संसार से आसक्ति खत्म नहीं होगी, हम स्व-बोध को, आत्म-बोध को प्राप्त नहीं कर सकेंगे और उसके बिना आत्मिक आनंद, परमसुख की उपलब्धि असम्भव है। माता-पिता का पहला कत्र्तव्य है बच्चों को जन्म से ही धार्मिक संस्कार देना लेकिन आज माता-पिता बच्चों को संस्कारों के पहले भौतिक सुख-सुविधाएं उपलब्ध करा रहे हैं।
यही वजह है कि छोटे-छोटे बच्चे टीवी, इंटरनेट पर जो दिख रहा है उसे सच मानकर सच्चाई से दूर होते जा रहे है। बच्चों को सुख-सुविधाएं देनी चाहिए लेकिन उसके पहले आवश्यक है कि उन्हें संस्कार दिए जाए।

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