बेहद लोकप्रिय वायुसेना की सूर्यकिरण एयरोबैटिक टीम 9 हॉक (एमके-132) विमानों के साथ हवाई करतब दिखाती है। रफ्तार के साथ टीम के बाकी विमानों के साथ तालमेल और फार्मेशन का यह खेल चुनौतियों और खतरों से भरा होता है। टीम के विमान 300 फीट से 7 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ान भरते हुए 200 किलोमीटर प्रति घंटे से लेकर 750 किलोमीटर प्रति घंटे तक की रफ्तार पकड़ते हैं। सूत्रों के मुताबिक यह घटना उस वक्त घटी जब टीम ‘मिरर पासÓ फार्मेशन में थी। इस फार्मेशन में एक विमान के ऊपर दूसरा विमान होता है लेकिन वह ‘इनवर्टेडÓ (उलटा) होता है। यानी, इस फार्मेशन में दोनों विमानों के कॉकपिट एक दूसरे के सामने होते हैं। जो विमान ‘इनवर्टेडÓ होता है उसमें एक पायलट जबकि दूसरे विमान में दो पायलट होते हैं। दुर्भाग्यवश मिरर पास या कैलिप्सो पास के दौरान दो विमानों के नोज एक दूसरे से टकरा गए। इसमें जो विमान ‘इनवर्टेड’ पोजिशन में था वह बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया और उसमें बैठे पायलट साहिल गांधी बाहर नहीं निकल पाए। वहीं, दूसरे विमान के दोनों पायलट सुरक्षित विमान से कूदने में सफल रहे। सूत्रों के अनुसार दोनों घायल पायलटों में से एक के दोनों पैरों में फ्रैक्चर हैं और उसे तुरंत ऑपरेशन थिएटर ले जाया गया। वहीं, दूसरे पायलट की स्कैनिंग हो रही थी। इस घटना में एक आम आदमी भी जख्मी हो गया।
एयरो इंडिया में विमान दुर्घटनाएं
इससे पहले वर्ष 2015 में दसवें एयरो इंडिया के दूसरे दिन कलाबाजी करते चेक रिपब्लिक की टीम रेड बुल एयरोबैटिक टीम के दो विमानों के डैने आपस में टकरा गए। हालांकि, दोनों विमानों को सुरक्षित लैंड करा लिया गया जिससे एक बड़ा हादसा टल गया। वहीं वर्ष 2007 में एयरो इंडिया के ठीक पहले वायुसेना की सारंग एयरोबैटिक टीम के दो हेलीकॉप्टर आपस में टकरा गए थे। एयरो इंडिया से पहले अभ्यास उड़ान के दौरान घटी इस घटना में एक सह-पायलट स्क्वाड्रन लीडर प्रियेश शर्मा की मौत हो गई थी जबकि विंग कमांडर विकास जेटली के सिर में गहरी चोट लगी। चार साल तक कोमा में रहने के बाद 11 जनवरी 2011 को उनकी भी मौत हो गई। गौरतलब है कि इसी महीने 1 फरवरी को एचएएल हवाई अड्डे पर वायुसेना का एक विमान मिराज-2000 दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिसमें एएसटीई के दो पायलट मारे गए।