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बैंगलोर

दोगुना होगा स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस का उत्पादन

भारतीय वायुसेना में ‘नंबर-45 स्क्वाड्रन’ के तौर पर शामिल किए गए ‘फ्लाइंग डैगर्स’ यानी स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) ‘तेजस’ का उत्पादन बढ़ाकर दोगु

बैंगलोरAug 29, 2017 / 10:55 pm

शंकर शर्मा

Tejas plane

Tejas plane

बेंगलूरु.भारतीय वायुसेना में ‘नंबर-45 स्क्वाड्रन’ के तौर पर शामिल किए गए ‘फ्लाइंग डैगर्स’ यानी स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) ‘तेजस’ का उत्पादन बढ़ाकर दोगुना किया जाएगा। तेजस का विकास करने वाली देश की एक मात्र विमान निर्माता कंपनी हिंदुस्तान – एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने वर्ष 2019-20 तक प्रति वर्ष 8 की जगह 16 तेजस विमानों के उत्पादन का लक्ष्य रखा है।


इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए एचएएल लगभग 1200 करोड़ रुपए अतिरिक्त निवेश करेगा। इस बड़े निवेश के जरिए बेंगलूरु स्थित एलसीए की वर्तमान एसेंबलिंग लाइन का विस्तार किया जाएगा साथही लाइसेंस हस्तांतरण के आधार पर तैयार किए जा रहे बीएई सिस्टम्स के हॉक 132 जेट ट्रेनर विमानों की फैसिलिटी का उपयोग करते हुए दूसरा उत्पादन केंद्र भी तैयार किया जाएगा।


एचएएल फिलहाल वर्ष 2017-18 के दौरान 8 एल सीए तेजस तैयार करेगा और उसके अगले साल 10 और तेजस का उत्पाद न करेगा। गत वर्ष 1 जुलाई को दो तेजस विमानों के साथ वायु सेना में तेजस का पहला स्क्वाड्रन गठित हुआ था। तब तेजस एसपी-1 और एसपी-2 विमानों को पहले स्क्वाड्रन में शामिल किया गया था।


एचएएल अधिकारियों का कहना है कि वर्ष 2019-20 से हर वर्ष 16 तेजस विमानों का उत्पादन शुरू हो जाएगा। एचएएल का कहना है कि उसने तेजस के पार्ट्स तैयार करने के लिए टायर-1 आपूर्तिकर्ताओं को तैयार किया है। एचएएल अधिक से अधिक इंटी ग्रेशन पर फोकस करेगा जबकि निजी एय रोस्पेस कंपनियां प्रमुख उपकरणों की आपूर्ति करेंगी। इससे विमानों के उत्पादन में तेजी आएगी।


वायु सेना तेजस के छह स्क्वाड्रन तैयार करेगी जिस में पहले 20 विमान प्रारंभिक परि चालन मंजूरी के फार्मेट में होंगे जबकि 20 विमान अंतिम परि चालन मंजूरी के फार्मेट में। शेष 8 0 विमान तेज स मार्क 1 ए होंगे जिनमें अत्याधुनिक एआईएसए राडार के इंटी ग्रेशन सहित कई सुधार किए जाएंगे। उम्मीद की जा रही है कि इसी साल के अंत तक तेजस को अंतिम परि चाल न मंजूरी मिल जाएगी।

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