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एचएएल के सामने अब अस्तित्व का संकट

locationबैंगलोरPublished: Oct 21, 2018 05:09:26 pm

Submitted by:

Ram Naresh Gautam

आर्डर में कमी के कारण कर्मचारियों के बेकार बैठने की नौबत

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एचएएल के सामने अब अस्तित्व का संकट

बेंगलूरु. शहर आधारित सार्वजनिक क्षेत्र की विमान निर्माता कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के सामने अब रोजगार का संकट खड़ा हो गया है।

कंपनी अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक आर.माधवन ने हाल ही में कहा था कि कंपनी के पास 61 हजार करोड़ रुपए का आर्डर है लेकिन अगर इस सैन्य विमान निर्माता कंपनी को कोई नया आर्डर नहीं मिलता है तो वर्ष 2020 के बाद उसकी स्थिति गंभीर हो जाएगी। कारोबार के नए रिकार्ड के बावजूद वर्ष 1990 के बाद यह पहला मौका है जब कंपनी इतनी गंभीर संकट में घिर गई है।

तो ये हालत ना होती
आर्डर कम होने के कारण हालत यह हो गई है कि एयरक्राफ्ट डिविजन में लगभग 25 फीसदी कार्यबल बेरोजगार बैठा है। एचएएल में लगभग 29 हजार (29,035) कर्मचारी हैं जिनमें से लगभग 9 हजार इंजीनियर हैं। एयरक्राफ्ट डिविजन में 3 हजार कर्मचारी काम करते हैं।
चूंकि, 6 1 जगुआर और 51 मिराज-2000 विमानों के उन्नयन का काम लगभग पूरा होने के करीब है और इसका मूल्य भी काफी कम है लिहाजा यह डिविजन लगभग खाली हाथ बैठा है। दूसरा, नया आर्डर नहीं होने के कारण यहां कर्मचारी बेरोजगारी के हालत में हैं।
एयरक्राफ्ट डिविजन के कर्मचारियों का कहना है कि अब उन्हें एलसीए (हल्के लड़ाकू विमान तेजस) डिविजन में स्थानांतरित किया जा सकता है जहां पहले से ही 2 हजार कर्मचारी कार्यरत हैं।

एचएएल के एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने कहा कि ‘हमें उम्मीद थी कि 108 विमानों (रफाल) के उत्पादन की जिम्मेदारी मिलेगी जिसके लिए पहले ही तैयारियां की जा चुकी थीं। लेकिन, रफाल सौदे के बाद वह उम्मीद भी नहीं रही।
रफाल सौदे के अनुसार अब 36 तैयार विमान खरीदे जाएंगे। अगर वर्ष 2015 में 126 बहुद्देश्शीय विमानों की खरीदारी की योजना में बदलाव नहीं किया गया होता तो आज उनकी ये हालत नहीं होती।Ó
टूटती उम्मीदें
फिलहाल एचएएल के पास एयरक्राफ्ट विनिर्माण के सिर्फ दो आर्डर रह गए हैं। एक तरफ बेंगलूरु स्थित एलसीए डिविजन में पहले बैच के 20 तेजस विमानों का उत्पादन हो रहा है वहीं नासिक स्थित मिग डिविजन में रुसी युद्धक सुखोई-30 एमकेआई विमानों का आर्डर पूरा किया जा रहा है।
एचएएल अधकारियों के मुताबिक 11 तेजस विमान तैयार किए जा चुके हैं जबकि मार्च 2019 तक चार से छह तेजस और तैयार हो जाएंगे जबकि बाकी आर्डर दिसम्बर 2019 तक पूरे कर लिए जाएंगे।
एचएएल को प्रारंभिक परिचालन मंजूरी (आईओसी) स्तर के 20 तेजस विमान वायुसेना को सौंपने हैं। उसके बाद हथियारों से सुसज्जित और हवा में ईंधन भरने की क्षमता से युक्त अंतिम परिचालन मंजूरी स्तर (एफओसी) स्तर के 20 तेजस विमान वायुसेना के लिए तैयार करना है।
इसके अलावा एचएएल की उम्मीदें तेजस मार्क-1 ए के आर्डर से है। पिछले वर्ष रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएएसी) ने 83 तेजस मार्क-1 ए विमानों की खरीद को मंजूरी दे दी थी लेकिन अभी यह आर्डर वास्तविक रूप नहीं ले सका है।
तेजस की कीमत कथित तौर पर काफी अधिक होने के कारण (सुखोई से भी अधिक कीमत) एक समिति गठित की गई है जो एचएएल द्वारा बताई गई कीमत का मूल्यांकन कर रही है। जब तक यह समिति अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपती तब तक बात आगे नहीं बढ़ेगी।
उधर, नासिक स्थित मिग डिविजन में लगभग 5 हजार कर्मचारी कार्यरत हैं जहां 222 सुखोई विमानों के उत्पादन का कार्य पूरा होने के करीब है। अब सिर्फ अंतिम बैच के 23 विमानों की आपूर्ति करना रह गया है जो अगले 17 महीने में पूरा हो जाएगा। एचएएल के एक अधिकारी ने कहा कि हर वर्ष 12 सुखोई विमानों की आपूर्ति की जा रही है इसलिए मार्च 2019 तक 23 में से 12 और उसके बाद मार्च 2020 तक शेष 11 सुखोई वायुसेना को सौंप दिए जाएंगे।
एचएएल के पूर्व अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक टी.सुवर्ण राजू ने पहले भी कहा था कि वर्ष 2019-20 तक सुखोई विमानों की आपूर्ति होने के बाद एचएएल के पास कोई आर्डर नहीं रह जाएगा। सुखोई विमानों का आर्डर पूरा होते ही एचएएल के लखनऊ, हैदराबाद, कानपुर, कोरवा और कासरगोड़ केंद्र भी खाली हाथ हो जाएंगे क्योंकि ये सुखोई के उत्पादन के लिए एक्सेसरीज तथा अन्य गतिविधियों में सहयोग कर रहे हैं।
दरअसल, एचएएल के देशभर में बेंगलूरु के अलावा नासिक, लखनऊ, कानपुर, कोरवा, बैरकपुर, हैदराबाद और कासरगोड़ में केंद्र है और उसके कुल 29 हजार कर्मचारियों में से लगभग 10 हजार कर्मचारी बेंगलूरु और नासिक में तैनात हैं।

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