चौधरी ने कहा कि आज हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे हर क्षेत्र में अग्रिम पंक्ति में खड़े हों। इस प्रतिस्पर्धा की होड़ में खुद तो तनाव में आते ही हैं और बच्चे भी दबाव के कारण अवसाद ग्रस्त हो जाते हैं। ऐसी स्थिति से बचने में एक मां अपनी भूमिका कैसे अदा करें, इसके लिए उन्होंने कई छोटे-छोटे टिप्स बताते हुए कहा कि इसके लिए अपने भीतर ऐसे गुण का विकास करना होगा जिससे हम प्रत्येक स्थिति को स्वीकार कर उसमें सम बने रह सकें। बच्चों पर किसी भी तरह का दबाव नहीं बनाएं अपितु उन्हें सही गलत का फर्क जरूर बताएं। इसके लिए हम ध्यान के प्रयोग भी कर सकते हैं।
मानसिक एकाग्रता एवं याददाश्त शक्ति बढ़ाने में सहायक
प्रेक्षाध्यान प्रशिक्षक छत्र मालू ने बताया कि ध्यान के निरंतर प्रयोग से शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक रूप से मजबूत बन सकते है। यह मानसिक एकाग्रता एवं याददाश्त शक्ति बढ़ाने में सहायक होता है । इसके लिए उन्होंने महाप्राण ध्वनि का प्रयोग करवाया। प्रेक्षाध्यान ध्यान प्रशिक्षक भंवरलाल मांडोत ने अर्हम की ध्वनि एवं नौ मंगल भावनाओं का प्रयोग करवाया। मंडल ने मुख्य वक्ता एवं दोनों प्रेक्षा प्रशिक्षकों का सम्मान किया। किरण पारख का तप अनुमोदना पत्र एवं माला से सम्मान किया गया। संचालन मनीषा घोषल एवं आभार ज्ञापन उषा सेठिया ने किया।