अटूट, अमर है पर्युषण पर्व की परंपरा
बेंगलूरु. शांतिनगर जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ में आचार्य महेंद्र सागर सूरी ने कहा कि हम क्या करने वाले हैं उससे नहीं, किंतु हम अभी क्या कर रहे हैं उससे अपनी कीमत होगी। उन्होंने कहा कि पर्युषण पर्व में आराधना उपासना में रस के साथ समय निकलेगा तभी उसका मजा रहेगा। सदियां बीत गई, कितने ही त्योहारों की रीत बदल गई किंतु पर्युषण पर्व की परंपरा आज भी अटूट और अमर है। जिन शासन का यह महान पर्व सदियों के गौरवपूर्ण त्याग, तपस्यामय, आराधना, उपासनामय इतिहास को हर वर्ष दोहराता है। दानादि चतुर्विध धर्म पालन की पावन प्रेरणा देता है।
बेंगलूरु. शांतिनगर जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ में आचार्य महेंद्र सागर सूरी ने कहा कि हम क्या करने वाले हैं उससे नहीं, किंतु हम अभी क्या कर रहे हैं उससे अपनी कीमत होगी। उन्होंने कहा कि पर्युषण पर्व में आराधना उपासना में रस के साथ समय निकलेगा तभी उसका मजा रहेगा। सदियां बीत गई, कितने ही त्योहारों की रीत बदल गई किंतु पर्युषण पर्व की परंपरा आज भी अटूट और अमर है। जिन शासन का यह महान पर्व सदियों के गौरवपूर्ण त्याग, तपस्यामय, आराधना, उपासनामय इतिहास को हर वर्ष दोहराता है। दानादि चतुर्विध धर्म पालन की पावन प्रेरणा देता है।