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आदर्श स्कूल में शिक्षकों का सम्मान

locationबैंगलोरPublished: Sep 07, 2018 01:14:24 am

Submitted by:

Rajendra Vyas

शिक्षक दिवस पर सांस्कृतिक कार्यक्रम

shikshak diwas

आदर्श स्कूल में शिक्षकों का सम्मान

विजेता विद्यार्थी पुरस्कृत
बेेंगलूरु. आदर्श विद्या संघ द्वारा संचालित मनवरथपेट स्थित आदर्श स्कूल में बुधवार को शिक्षक दिवस मनाया गया। इस अवसर मुख्य अतिथि के रूप में संघ के संस्थापक प्रेमराज जैन सहित अरविंद डोसी, आदर्श एल्युमिनी के अध्यक्ष उगमराज, सचिव नरेन्द्र चोरडिय़ा, कोषाध्यक्ष दिलीप लोढ़ा आदि उपस्थित थे। प्रेमराज जैन ने शिक्षक की भूमिका पर सारगर्भित विचार व्यक्त किए। उन्होंने कबीर दास के दोहे का उदाहरण देकर गुरु को भगवान से श्रेष्ठ बताया। विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी और विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। स्कूल के विद्यार्थी आदित्य एवं यशोदा ने संचालन किया जबकि नवीन ने स्वागत ने किया। रेखा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में स्कूल के शिक्षकों को सम्मानित किया गया। स्कूल की प्राचार्या अम्बिका एल. एवं उपप्राचार्च त्रिवेणी ने आभार जताया।
हमें पवित्र करे वह पर्युषण महापर्व
बेंगलूरु. संभवनाथ भवन, वीवीपुरम में आचार्य जिनसुंदर सूरी ने बुधवार को सिद्धितप के तपस्वियों की सातवीं पारी पूर्ण करने पर बियासना का पच्चखान देते हुए कहा कि गुरुवार से अ_ाई उपवास करने हैं। उन्होंने कहा कि जो हमें पवित्र करे वह पर्युषण महापर्व है। पर्युषण जैन धर्म के मौलिक तत्त्वों से लाभ उठाने के लिए हमें आगे बढ़ाता है। इस अवसर पर भंवरलाल चौपड़ा, इंद्रचंद्र नाहर, देवकुमार के जैन, महेंद्र सोलंकी, पोपटलाल जैन आदि उपस्थित थे।
पारणोत्सव की पत्रिका भेंट की
बेंगलूरु. आदिनाथ जैन श्वेताम्बर संंघ व संभवनाथ जैन श्वेताम्बर संघ के अंतर्गत चल रहे सिद्धितप पारणोत्सव की पत्रिका बुधवार को ट्रस्टी व तपस्वी देवकुमार जैन को संघ सचिव प्रकाशचंद राठौड़ ने प्रदान कर शुरुआत की। आचार्य जिनसुंदर सूरीश्वर, पंन्यास प्रवर कल्परक्षित विजय की निश्रा में सिद्धितप की सातवीं पारी बुधवार को पूर्ण की गई। दोनों जगहों 350 तपस्वी जुड़े हैं।
अटूट, अमर है पर्युषण पर्व की परंपरा
बेंगलूरु. शांतिनगर जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ में आचार्य महेंद्र सागर सूरी ने कहा कि हम क्या करने वाले हैं उससे नहीं, किंतु हम अभी क्या कर रहे हैं उससे अपनी कीमत होगी। उन्होंने कहा कि पर्युषण पर्व में आराधना उपासना में रस के साथ समय निकलेगा तभी उसका मजा रहेगा। सदियां बीत गई, कितने ही त्योहारों की रीत बदल गई किंतु पर्युषण पर्व की परंपरा आज भी अटूट और अमर है। जिन शासन का यह महान पर्व सदियों के गौरवपूर्ण त्याग, तपस्यामय, आराधना, उपासनामय इतिहास को हर वर्ष दोहराता है। दानादि चतुर्विध धर्म पालन की पावन प्रेरणा देता है।
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