राज्य के अलग-अलग हिस्सों ेसे आए किसानों ने शहर में रैली निकाली। हालांकि, प्रदर्शनकारी किसान कड़ी पुलिस सुरक्षा के कारण विधानसौधा का घेराव नहीं कर पाए। किसानों ने फ्रीडम पार्क के पास ही प्रदर्शन किया।
दोपहर में सहकारिता मंत्री बंडप्पा काशमपुर किसानों से मुलाकात करने फ्रीडम पार्क पहुंचे। किसानों की बातें सुनने के बाद काशमपुर ने कहा कि वे उनकी बातों को मुख्यमंत्री तक पहुंचा देंगे। काशमपुर ने कहा कि हम सत्ता में सरकारी सुविधाओं के उपभोग के लिए नहीं बल्कि आपलोगों की समस्याओं के समाधान के लिए हैं।
इसके बाद कोडिहल्ली चंद्रशेखर के नेतृत्व में किसानों का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से मिला और उन्हें अपनी समस्याओं के बारे में अवगत कराया। किसानों के राजधानी के सड़कों पर उतरने के बाद सरकार ने किसानों की समस्याओं को सुलझाने का भरोसा दिया जिसके बाद किसानों ने दिनभर चला आंदोलन वापस ले लिया।
किसानों ने सरकार को समस्याओं को सुलझाने के लिए 15 दिन की मोहलत देते हुए कहा कि अगर सरकार ने वादे के मुताबिक काम नहीं किए तो फिर से आंदोलन तेज किया जाएगा। इस बीच, मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने सोमवार को कहा कि सरकार किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए प्रतिबद्ध है।
कुमारस्वामी ने प्रदर्शनकारी किसानों से धैर्य रखने और सरकार को थोड़ा वक्त देने की अपील की। कुमारस्वामी ने कहा कि वे किसानों की समस्याओं को लेकर अधिकारियों के साथ बैठक कर चुके हैं और जिलाधिकारियों को चीनी मिलों के पास बकाया राशि का भुगतान कराने के लिए आदेश दिया जा चुका है।
किसानों की बाकी मांगों पर भी सरकार काम कर रही है। कुमारस्वामी ने कहा कि सरकार ने किसानों के ऋण माफी करने के लिए कदम उठाएं हैं लेकिन यह सभी समस्याओं का समाधान नहीं है।
हालांकि, इससे लाभार्थी किसानों को नई शुरूआत करने का मौका मिलेगा। सहकारी बैंकों के साथ ही वाणिज्यिक बैंकों के कृषि ऋण भी माफ किए गए हैं। कुमारस्वामी ने मंगलवार को गन्ना उत्पादक किसानों की समस्याओं पर चर्चा के लिए बैठक बुलाई है। बैठक में किसानों के प्रतिनिधियों के अलावा चीनी मिलों के मालिक और संबंधित विभागों के अधिकारी भी भाग लेंगे।
बेंगलूरु में किसानों का प्रदर्शन बेगलावी के सुवर्ण विधानसौधा में किसानों के गन्ने से लदे ट्रकों के साथ घुसने की घटना के एक दिन बाद हुआ। हालांकि, यह पूर्व घोषित था। रविवार को कुमारस्वामी का बेलगावी दौरा रद्द होने से नाराज किसानों ने सुवर्ण विधानसौधा को घेरने की कोशिश की थी।
इस घटना के बाद किसानों के खिलाफ कुमारस्वामी के टिप्पणी को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया था।