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बैंगलोर

अब आधार के बिना नहीं होगी चार धाम यात्रा

सरकारी रियायात पर चार धाम की तीर्थ यात्रा करने के लिए अब आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया गया है

बैंगलोरAug 31, 2017 / 11:15 pm

शंकर शर्मा

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बेंगलूरु. सरकारी रियायात पर चार धाम की तीर्थ यात्रा करने के लिए अब आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया गया है। राज्य सरकार ने उत्तराखंड के बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री की वार्षिक यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों को दी जाने वाली २० हजार रुपए की यात्रा सहायता का दुरुपयोग रोकने के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य बनाने का फैसला किया है। पिछड़े पखवाड़े जारी किए गए दिशा-निर्देश के मुताबिक आधार कार्ड ही तीर्थयात्रा सहायता के लिए आवेदक के डोमिसाइल प्रमाण पत्र के तौर पर माना जाएगा।


देवस्थानम विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि औसतन हर साल एक से डेढ़ हजार राज्य के निवासी चार धाम की तीर्थ यात्रा के लिए सरकारी सहायता लेते हैं लेकिन अब निजी टूर ऑपरेटरों के तीर्थयात्रियों को सरकारी सहायता का लालच देकर लुभाने की कोशिश कर रहे हैं जिससे आवेदकों की संख्या बढऩे की संभावना है। साथ ही गलत यात्रा दस्तावेज भी दिए जा सकते हैं। लिहाजा, सहायता का दुरुपयोग रोकने के लिए सरकार ने आधार कार्ड को अनिवार्य बनाने का फैसला किया है।


गौरतलब है कि वर्ष २०१४ में सिद्धरामय्या सरकार ने चार धाम यात्रा के लिए सहायता देने की योजना शुरु की थी ताकि मध्यम और निम्र आय वर्ग के श्रद्धालु भी तीर्थ यात्रा कर सकेंगे। इससे पिछली भाजपा सरकार ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए ३० हजार रुपए की सहायता देने की योजना शुरु की थी।


विभाग के अधिकारी ने कहा कि नए नियमों के मुताबिक केंंद्र या राज्य सरकार की ओर से मान्यता प्राप्त यात्रा संचालकों के जरिए यात्रा करने वो तीर्थ यात्रियों को संबंधित एजेंसी से एक शपथ पत्र लेकर देना होगा। साथ ही उत्तराखंड पर्यटन परिषद की ओर से जारी तीर्थ यात्री कार्ड भी पेश करना पड़ेगा। तीर्थाटन के चार महीने के अंदर संबंधित दस्तावेजों के साथ देवस्थानम आयुक्त के पास आवेदन करने पर ही सहायता के लिए विचार किया जाएगा। सहायता स्वीकृत होने पर राशि सीधे लाभार्थी के खाते में भेजी जाएगी।

सरकारी कर्मचारियों को भी मिलेगा लाभ
नए दिशा-निर्देशों के मुताबिक अब सरकारी कर्मचारी भी तीर्थ यात्रा के लिए सरकारी सहायता का दावा कर सकेंगे। पुराने नियमों में राज्य अथवा केंद्र सरकार के कर्मचारी इसके हकदार नहीं माने गए थे क्योंकि उन्होंने लीव ट्रेवल अलावंस (एलटीए) मिलता है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों को भी इसके लिए लाभार्थी माने जाने का काफी दबाव था जिसके कारण सरकार ने शर्तों में बदलाव किया है।

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