बजट सत्र में ‘बजट’ पर ही नहीं हो सकी बहस
बैंगलोरPublished: Feb 15, 2019 09:06:33 pm
धरना, नारेबाजी, आरोप, प्रत्यारोप शोरगुल के बीच बजट सत्र का पटाक्षेप
बजट सत्र में ‘बजट’ पर ही नहीं हो सकी बहस
बेंगलूरु. बजट सत्र के दौरान विधान परिषद में धरना, शोरगुल, आरोप प्रत्यारोप के कारण सदन की कार्यवाही कई बार स्थगित करनी पड़ी। कहने के लिए तो यह बजट सत्र था, लेकिन इस सत्र में वर्ष 2019-20 के बजट पर कोई बहस तक संभव नहीं होने से बजट को भी ध्वनिमत से पारित करने की नौबत आ गई। साथ ही में सत्र के दौरान किसी भी विषय को लेकर न तो सदन में कोई चर्चा और ना ही किसी विधेयक पर बहस हुई।
सत्र की शुरुआत में विपक्ष ने राज्य के खराब पेयजल आपूर्ति केंद्रों में भ्रष्टाचार की जांच के लिए सदन समिति के गठन की मांग लेकर सदन में धरना दिया, जिसके कारण सदन की कार्यवाही बाधित हुई। उसके पश्चात सत्तारूढ़ कांग्रेस तथा जनता दल-एस के सदस्यों ने विपक्ष के नेता येड्डियूरप्पा के ऑडियो टेप को लेकर सदन में बहस की मांग को लेकर कार्यवाही को बाधित किया। सत्तापक्ष के सदस्यों के इस बर्ताव पर सभापति ने भी आश्चर्य व्यक्त किया और कहा कि सदन की परंपरा के अनुसार सत्तारूढ़ दल के सदस्य सदन में धरना नहीं देते हैं।
सत्र के तीसरे तथा चौथे दिन ही सदन में प्रश्नकाल हो सका। उसके पश्चात विधानसभा में पारित 8 विधेयकों को ध्वनिमत से मंजूरी तथा बगैर किसी बहस वर्ष 2019-20 के बजट को मंजूरी ही इस सत्र की एक मात्र उपलब्धि रही। गठबंधन के साथियों के बीच ही समन्वय का अभाव उजागर हुआ। शिक्षकों के तबादले को लेकर लाए संशोधित विधेयक का सत्तापक्ष के सदस्यों ने ही विरोध किया, जिसके कारण सदन में अजीबोगरीब स्थिति बन गई। बजट सत्र के अंतिम दिन गुरुवार को सदन में जहां विपक्ष मौन रूप से धरने पर था, वहीं सत्तापक्ष के सदस्य एक-दूसरे के साथ उलझते नजर आए।
सभापति ने विपक्ष को लगाई फटकार
बेंगलूरु. बजट सत्र के दौरान विपक्ष के धरने के कारण सदन में एक घंटे की भी कार्यवाही भी सुचारु रूप से संभव नहीं हो सकी है। क्या विपक्ष को केवल सदन में धरना देने तथा नारे लगाने से ही संतुष्टि मिल रही है। विधान परिषद को दलगत राजनीति का अड्डा मत बनाइए। विधान परिषद के सभापति प्रताप चंद्र शेट्टी ने सदन की कार्यवाही में लगातार बाधा डाल रहे भाजपा के सदस्यों को उक्त बातें कहते हुए फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि एक जिम्मेदार विपक्ष का दायित्व निभाते हुए भाजपा को सदन की कार्यवाही में भाग लेकर सरकार की खामियों को उजागर करना चाहिए। लेकिन इस सत्र के दौरान विपक्ष शायद अपना दायित्व भूल गया है। सभापति की टिप्पणी पर नेता प्रतिपक्ष कोटा श्रीनिवास पुजारी ने कहा कि राज्य में कानून और व्यवस्था चरमरा रही है। हमारे पार्टी के विधायकों को निशाना बनाकर उनके घरों पर पथराव किया जा रहा है। इस मामले को लेकर सरकार ठोस कार्रवाई करे। इसी को लेकर धरने पर बैठे। इससे पहले विपक्ष ने राज्य के विभिन्न जिलों के खराब पड़े पेय जल आपूर्ति केंद्रों के कारोबार में भ्रष्टाचार की जांच के लिए सदन समिति के गठन की मांग को लेकर धरना दिया। जनहितों के मामलों को लेकर ही विपक्ष सदन में संघर्ष कर रहा है। जब सरकार विपक्ष की बात नहीं सुनती है तब विपक्ष के पास धरना तथा सदन से बहिर्गमन करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। गठबंधन सरकार के पास कोई स्पष्ट नीति नहीं है। इसलिए विपक्ष ने वर्ष 2019-20 के बजट पर कोई बहस नहीं की है।