बढ़ेगा निवेशकों का भरोसा, बेहतर होगा ब्रांड
मोहनदास पै ने कहा है कि यह कदम ब्रांड को बेहतर बनाएगा और कॉरपोरेट गवर्नेंस के उच्च मानदंडों के पालन का भरोसा निवेशकों को दिलाएगा। उन्होंने संस्थापकों का प्रतिनिधित्व करने वाले दो नए बोर्ड सदस्यों को नामित करने पर भी बल दिया। संस्थापकों की कंपनी में अभी भी 13 फीसदी हिस्सेदारी है और वे कंपनी के प्रमोटर के तौर पर रखे गए हैं। मोहनदास पै ने नारायण मूर्ति, जेआरडी टाटा और धीरूभाई अंबानी को भारत के अब तक के सबसे बड़े तीन बिजनेस आइकन बताया और कहा कि ‘निजी तौर पर मेरी राय है कि नारायण मूर्ति को फिर से इंफोसिस के मानद चेयरमैन के रूप में वापस लाया जाना चाहिए।
पै ने कहा कि मानद चेयरमैन की भूमिका ना तो कानूनी है और ना ही इसका रणनीति से जुड़े मसलों से कोई लेना-देना है। मानद चेयरमैन के रूप में लोग मूर्ति के सामने अपने विचार रख सकते हैं। ये विचार गवर्नेंस को लेकर होंगे। इनका प्रबंधन, रणनीति या बाकी सब से कोई लेना-देना नहीं है।
रतन टाटा का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि वे टाटा संस के प्रमोटर होने के साथ-साथ मानद चेयरमैन भी हैं और उनकी कंपनी में उल्लेखनीय हिस्सेदारी है। जब रतन टाटा को लगता है कि कुछ गलत हो रहा है तो वह अपने विचार रखते हैं। इसलिए बड़ी कंपनियों के लिए, जिनके पास महान संस्थापक हैं, मानद चेयरमैन का पद वह पद है, जहां आप अपने विचार रख सकते हैं।
पै और वेंकटेंशन भी समर्थन में उतरे : मूर्ति को पूरा अधिकार
मूर्ति को विश्व के महान बिजनेस आइकन में से एक बताते हुए पै कहा कि वह इस पद के लिए पूर्णत: योग्य हैं। वे कंपनी के सबसे बड़े शेयरधारक हैं। उनके पास कंपनी के कारपोरेट गवर्नेंस के स्तर पर लिखने का पूरा अधिकार है। वे अपने इसी कानूनी अधिकार का इस्तेमाल कर रहे हैं और अगर कपंनी का बोर्ड उनकी बात पर विचार नहीं करता, उन्हें बेकार मानता है और उनके सवालों का जवाब नहीं देता, तो उनके पास अधिकार है कि वे इस मुद्दे को सार्वजनिक तौर पर उठाएं। लेकिन, उम्मीद है कि उन्होंने सार्वजनिक तौर जो मुद्दे उठाए हैं वे आपसी सहमति से हल हो जाएंगे।
अभी तक नहीं दिए कोई संकेत
इससे पहले कंपनी के सह-चेयरमैन रवि वेंकटेशन ने एक साक्षात्कार के दौरान कहा कि ‘मूर्ति ने अभी तक कोई संकेत नहीं दिया है कि वे कंपनी में एक भूमिका चाहते हैं। अगर वे ऐसा चाहेंगे तो हम जरूर इस पर विचार करेंगे।’
अगर मूर्ति कंपनी में लौटते हैं तो यह दूसरा मौका होगा जब वे कंपनी में वापसी करेंगे। इससे पहले साल 2013 के दौरान वह कार्यकारी चेयरमैन के रूप में लौटे थे क्योंकि कंपनी विकास दर सहित कई समस्याओं से जूझ रही थी। लेकिन हाल ही में मूर्ति ने एक बयान दिया जिसमें कहा था कि साल 2014 में कंपनी का चेयरमैन पद छोडऩे का उन्हें अफसोस है। उन्हें अपने सह संस्थापकों की बात सुननी चाहिए थी और पद पर बने रहना चाहिए था। माना जा रहा है कि मूर्ति के उस बयान के बाद ही उन्हें पुन: कंपनी में वापस लाने की कवायद चल रही है।