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बैंगलोर

नंदी हिल्स पर्यटन विभाग के हवाले नहीं होगा : मंत्री

नंदी हिल्स के विकास और पर्यटक सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए हर साल बागवानी विभाग अनुदान जारी करता है

बैंगलोरSep 21, 2018 / 07:55 pm

Ram Naresh Gautam

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नंदी हिल्स पर्यटन विभाग के हवाले नहीं होगा : मंत्री

बेंगलूरु. बागवानी विभाग नंदी हिल्स को पर्यटन विभाग को नहीं सौंपेगा। बागवानी मंत्री एम. सी. मनगोली ने गुरुवार को चिकबल्लापुर में यह बात कही। उन्होंने कहा कि नंदी हिल्स की सारी जिम्मेदारी बागवानी विभाग निभा रहा है। कुछ जिम्म्दारियां पर्यटन और लोक निर्माण विभाग को भी दी गई हैं। इसलिए नंदी हिल्स बागवानी विभाग के पास ही रहेगा। नंदी हिल्स के विकास और पर्यटक सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए हर साल बागवानी विभाग अनुदान जारी करता है। पर्यटन या लोक निर्माण विभाग ने कभी एक रुपया भी खर्च नहीं किया। पर्यटन विभाग ने नंदी हिल्स उसे देने की सिफारिश की थी, जिसे रद्द कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि नंदी हिल्स में शीघ्र ही इलेक्ट्रिक वाहन सेवा प्रायोगिक तौर पर आरंभ होगी। उन्होंने कहा कि नंदी हिल्स में प्रवेश शुल्क बढ़ाने की मांग कई दिनों से हो रही है लेकिन इसे नहीं बढ़ाया जाएगा। यह पिकनिक स्पॉट है और छुट्टियों के दिन काफी भीड़ रहती है। इसलिए अब नंदी हिल्स में आने-जाने का समय निर्धारित किया जाएगा। ज्यादा समय तक रहने वालों पर जुर्माना किया जाएगा। यह शर्त केवल छुट्टियों के दौरान लागू होगी। टिकटों पर ही समय दर्ज होगा। यहां पुलिस चौकी स्थापित की गई है।

रिमोट सेंसिंग एवं भौगोलिक सूचना तंत्र प्रणालियों का जल संसाधन में उपयोग
बेंगलूरु. अंतरिक्ष विभाग के अधीन भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइएसटी), तिरुवनंतपुरम के प्रोफेसर वाइ. वी. एन. कृष्ण मूर्ति ने बेंगलूरु विवि की ओर से सतत ग्रामीण विकास और भू-स्थानिक समाधान विषय पर आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया।
उन्होंने कहा, विश्व की 16 फीसदी आबादी भारत में है। लेकिन यहां चार फीसदी वैश्विक सतही जल ही उपलब्ध है। कृषि क्षेत्र भी इसी चार फीसदी जल पर निर्भर है। गत डेढ़ दशक में सतही जल के स्तर में भी चिंताजनक गिरावट दर्ज हुई है। जलवायु परिवर्तन, कहीं भारी बारिश तो कहीं सूखा और उच्च तापमान आदि भी चिंता का विषय है।
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के सर्वेक्षण, विकास एवं प्रबंधन में रिमोट सेंसिंग (सुदूर संवेदन) तकनीक की महत्वपूर्ण भूमिका है। इस तकनीक को पूर्व प्रचलित पद्धति के साथ एकीकृत करने पर किसी भी क्षेत्र के बारे में जानकारी कम समय एवं कम लागत में प्राप्त की जा सकती है। रिमोट सेंसिंग एवं भौगोलिक सूचना तंत्र प्रणालियों का जल संसाधन एवं प्रबंधन के अनेक क्षेत्रों में उपयोग हो रहा है। बीयू के कुलपति प्रो. वेणुगोपाल के. आर.ने भी सम्मेलन में हिस्सा लिया।

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