आयोग ने कहा कि कर्नाटक सरकार के आंकड़ों के अनुसार, राज्य के मुसलमानों की सभी जातियों और समुदायों को राज्य सरकार के तहत रोजगार और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण के लिए ओबीसी की सूची में शामिल किया गया है। श्रेणी 2-बी के तहत राज्य के सभी मुसलमानों को ओबीसी माना गया है। आयोग ने कहा कि श्रेणी-1 में 17 मुस्लिम समुदायों को ओबीसी माना गया है जबकि श्रेणी-2ए में 19 मुस्लिम समुदायों को ओबीसी माना गया है।
एनसीबीसी ने बयान में क्या कहा
एनसीबीसी के अध्यक्ष हंसराज गंगाराम अहीर के मुताबिक, कर्नाटक सरकार के नियंत्रणाधीन नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण के लिए कर्नाटक के सभी मुस्लिम धर्मावलंबियों को ओबीसी की राज्य सूची में शामिल किया गया है। राज्य के पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को लिखित रूप से अवगत कराया है कि मुस्लिम और ईसाई जैसे समुदाय न तो जाति हैं और न धर्म। राज्य में मुस्लिम आबादी 12.92 प्रतिशत है और उन्हें धार्मिक अल्पसंख्यक माना जाता है। साल 2011 की जनगणना के मुताबिक राज्य में मुस्लिम की जनसंख्या 12.32 प्रतिशत है। जिन 17 मुस्लिम समुदायों को श्रेणी 1 में ओबीसी माना गया, उनमें नदाफ, पिंजर, दरवेश, छप्परबंद, कसाब, फुलमाली (मुस्लिम), नालबंद, कसाई, अथारी, शिक्कालिगारा, सिक्कालिगर, सालाबंद, लदाफ, थिकानगरा, बाजीगारा, जोहारी और पिंजारी शामिल हैं।
एनसीबीसी ने की सरकार की आलोचना
एनसीबीसी ने आरक्षण उद्देश्यों के लिए मुस्लिम समुदाय को पिछड़ी जाति के रूप में वर्गीकृत करने के कांग्रेस सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए कहा है कि इसने सामाजिक न्याय के सिद्धांत को कमजोर कर दिया है। आयोग ने कहा कि इस कदम से राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग के अधिकारों की हानि हुई है।