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‘एक लाइन के इस्तीफे में उन्हें क्या पढऩा है…’

locationबैंगलोरPublished: Jul 13, 2019 01:08:43 am

Submitted by:

Rajendra Vyas

विधायकों के इस्तीफे पर सुप्रीम कोर्ट में खूब हुई जिरह
मुकुल रोहतगी ने उठाए रमेश कुमार के रवैये पर सवाल
रोहतगी की दलीलों का स्पीकर के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने किया कड़ा विरोध

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‘एक लाइन के इस्तीफे में उन्हें क्या पढऩा है…’

बेंगलूरु. Supreme court में विधायकों के resignation पर हुुई hearing के दौरान मुकुल रोहतगी ने Speaker केआर रमेश कुमार के रवैये पर सवाल उठाए। बागी विधायकों की ओर से पेश हुए रोहतगी ने कहा कि ‘स्पीकर कह रहे हैं कि मुझे अध्ययन करना होगा। यह समझ से परे है कि एक लाइन के इस्तीफे में उन्हें क्या पढऩा है। आज Vidhan Sabha का session शुरू हो गया है। पार्टी ने सदन में रह कर बजट के पक्ष में वोट का Whip जारी कर दिया है। कोशिश है कि इसकी आड़ में विधायकों को अयोग्य ठहराया दिया जाए।’
रोहतगी की दलीलों का स्पीकर के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा कि ‘नियमों के मुताबिक इस्तीफे पर फैसला लेने में समय लगता है। वैसे, जो इस्तीफा देना चाहते हैं, उन्हें अयोग्यता से क्या डर। वो इसलिए डरते हैं कि अगर दूसरी government बनी तो बिना चुनाव जीते, उसमें मंत्री नहीं बन सकेंगे। लोग मंत्री बनने की उम्मीद में स्पीकर की निष्पक्ष कार्रवाई पर सवाल उठा रहे हैं।’
इस पर चीफ जस्टिस ने सवाल किया, ‘आपने कहा है कि अयोग्यता की कार्रवाई फरवरी से लंबित है। पर ये तो सिर्फ दो विधायकों पर ही शुरू हुई थी। आठ पर तो इस्तीफे के बाद कार्रवाई शुरू हुई है। सिंघवी ने जवाब दिया, ‘इस्तीफे व्यक्तिगत रूप से मिल कर नहीं दिए गए। लेकिन Court को ऐसा दिखाया जा रहा है जैसे स्पीकर फरार हो गए थे।’
सिंघवी ने आगे कहा, ‘हमारा सवाल ये भी है कि क्या स्पीकर को तय सीमा में फैसला लेने का आदेश दिया जा सकता है? स्पीकर को कानूनन अधिकार है कि वो देखें कि इस्तीफा Pressure में तो नहीं दिया गया।’
इसके बाद मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी की तरफ से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने जिरह शुरू की। उन्होंने कहा,’यहां सरकार के बहुमत खोने के दावे किए जा रहे हैं। काम नहीं करने, भ्रष्टाचार में शामिल होने के गलत आरोप लगाए जा रहे हैं। ये राजनीतिक मकसद से दाखिल याचिका है। इस पर विचार नहीं करना चाहिए।’
धवन ने आगे कहा, ‘कांग्रेस के कुछ सदस्यों ने दुर्भावना से काम किया। उनकी पार्टी ने स्पीकर के सामने उन्हें अयोग्य ठहराने की याचिका दाखिल की। इसमें कोर्ट से दखल की मांग करना कहां तक सही है। ये विधायक एक तरह से सरकार को गिराने में कोर्ट की मदद मांग रहे हैं। ये विधायक जिस जनमत से चुने गए, उसके खिलाफ काम कर रहे हैं। ऐसे में स्पीकर का क्या रोल है? यही कि मामले की जांच कर फैसला लें।
धवन ने कोर्ट को भी उसकी सीमा का ध्यान दिलाते हुए कहा, ‘स्पीकर कल विधायकों से शाम 6 :15 पर मिले। कोर्ट के आदेश के इस हिस्से पर अमल हुआ। वो नियमों के मुताबिक जल्द से जल्द Decision लेंगे। लेकिन, स्पीकर कैसे काम करें, इसका निर्देश कोर्ट नहीं दे सकता।’

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