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अपनी बौद्धिक शक्ति को बनाएं निर्मल-आचार्य महाश्रमण

locationबैंगलोरPublished: Oct 16, 2019 07:10:10 pm

Submitted by:

Yogesh Sharma

तेरापंथ के छठे आचार्य माणक घणी की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलिसाध्वी पानकंवर के देवलोक गमन पर स्मृति सभा का आयोजन

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बेंगलूरु. आचार्य महाश्रमण ने महाश्रमण समवशरण में आयोजित धर्मसभा में उपस्थित श्रावकों को संबोधित करते हुए कहा कि सहजानंद सिद्धों को प्राप्त होता है। सामान्य व्यक्ति मन, वचन, इंद्रिय और शरीर में आनंद ढूंढता है। सहजानंद सामान्य व्यक्ति की पकड़ में नहीं आता है। वह भौतिक और मानसिक क्रियाओं में सुख ढूंढता है। आचार्य ने कहा कि जिसके पास बुद्धि बल होता है, वह सम्माननीय होता है और बुद्धि का निरंतर विकास भी करते रहना चाहिए। बुद्धि से लिए गए निर्णय सकारात्मक और विकास के रास्ते खोलने वाले होते हैं। आचार्य ने कहा वे बौद्धिक व्यक्तियों का सम्मान करते हैं और सभी को भी प्रेरित करते हुए कहा कि बुद्धि की अवमानना नहीं करनी चाहिए। बुद्धि में अगर मोहनीय कर्म जुड़ जाएं तो गलती हो सकती है। बुद्धि सामान्य रूप में एक शक्ति है उसका कोई किस तरह उपयोग करता है यह उस व्यक्ति पर ही निर्भर करता है। जिस प्रकार पानी का अलग अलग तरीके से उपयोग होता है उसी प्रकार बुद्धि भी हर व्यक्ति अलग तरीके से उपयोग करता है। बुद्धि को व्यक्ति के लिए कामधेनु बताते हुए कहा कि इसे जैसा उपयोग करेंगे वैसा फल मिलता जाता है। मोहनीय कर्म से जितना दूर रहें तो बुद्धि सही दिशा में संचारित होती जाती है। आचार्य प्रवर ने मोहनीय कर्म को कांच पर गिरी बूंदों के समान बताते हुए कहा कि बुद्धि रूपी वाइपर द्वारा इसे निरंतर साफ रखा जाए तो जीवन में आगे बढऩे में सहजता मिलती है। आचार्य प्रवर ने उपस्थित श्रावक समाज को प्रेरणा देते हुए कहा कि जीवन में उतावलापन करने से बचना चाहिए। उतावलापन अगर किसी की सेवा करने में हो तो अच्छी बात है परंतु हर जगह उतावलापन नुकसानदायक हो सकता है। किसी व्यक्ति के प्रश्न का जवाब देने में उतावलापन ना दिखाकर बुद्धि का उपयोग कर परिस्थिति के अनुसार जवाब देना चाहिए।
प्रवचन के दौरान तेरापंथ के छठे आचार्य माणकगणी की वार्षिक पुण्य तिथि पर स्मरण करते हुए गीतिका प्रस्तुत की। प्रवचन में साध्वी पान कंवर के देवलोकगमन होने पर स्मृति सभा का आयोजन किया। आचार्य प्रवर ने उन्हें धर्म संघ की विशिष्ट साध्वी बताते हुए कहा कि साध्वी पानकंवर कला कौशल से युक्त थी। साध्वीप्रमुखा कनकप्रभा ने साध्वी पानकंवर के प्रति भावांजली अर्पित करते हुए कहा कि एक अनुशासित और हंसमुख साध्वी थीं। उन्होंने अपने जीवन को धर्मसंघ के लिए समर्पित किया। उनकी कला अद्भुत थी उनकी चित्रकला की एक प्रति दिखाते हुए कहा कि वह चित्रों के माध्यम से शब्द बनाने में कौशल थी। स्मृति सभा में मुनि धर्मरुचि, साध्वी यशोमती ने भी अपनी भावांजलि प्रकट की। व्यास यूनिवर्सिटी के योग गुुरु डॉ. नागेंद्र एवं डॉ. टीम ने आचार्य के दर्शन किए एवं आशीर्वाद ग्रहण किया। संचालन मुनि दिनेश कुमार ने किया।
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