उन्होंने कहा कि प्रस्तावित परियोजना को लेकर तमिलनाडु के मतभेदों को आपसी संवाद द्वारा हल किया जा सकता है। तमिलनाडु के विरोध के बावजूद केन्द्र ने केवल परियोजना संबंधी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट को प्रारंभिक मंजूरी दी है लेकिन सभी हितधारकों से परामर्श के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि मैं फिर से दोहराता हूं कि मानसून के दौरान जो पानी बेकार होकर बह जाता है उसे बांध में सुरक्षित रखा जा सकता है। इस वर्ष कावेरी नदी से 50 प्रतिशत पानी बेकार हो गया। इसलिए कर्नाटक और तमिलनाडु के किसानों के हित में हम इस बांध का निर्माण करना चाहते हैं।
दोनों राज्य भाई-बहन की भांति
तमिलनाडु और कर्नाटक की निकटस्थता बताते हुए कुमारस्वामी ने कहा कि दोनों राज्य भाई और बहन की भांति हैं। डीपीआर पर केन्द्र की स्वीकृति के सवाल का मतलब यह नहीं हैकि केन्द्र सरकार पूरी तरह से सहमत है।
बिना तमिलनाडु के परामर्श और बिना तमिलनाडु की अनुमति के केन्द्र सरकार कोई निर्णय नहीं ले सकती। डीपीआर की स्वीकृति केवल प्रारंभिक अनुमति है। उन्होंने तमिलनाडु सरकार और वहां के विपक्षी दलों से अपील की कि इस मुद्दे का राजनीतिकरण न करें।
मैं आग्रह करता हूं कि दोनों राज्य बैठकर आपसी संवाद से मुद्दे का समाधान सुनिश्चित करें। यह परियोजना पेयजलापूर्ति के लिए है न कि सिंचाई के लिए और पिछले 125 वर्षों में कावेरी से जुड़ा कोई मामला ऐसा नहीं रहा है कि जो अब लंबित हो।