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बैंगलोर

Karnataka: येडियूरप्पा के बेटे विजयेंद्र बने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष

खत्म हुआ असमंजस का दौर

बैंगलोरNov 10, 2023 / 08:34 pm

Jeevendra Jha

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प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किए जाने के बाद विजयेंद्र का मुंह मीठा कराते येडियूरप्पा।

बेंगलूरु. कई महीने से चल रहे असमंजस को खत्म करते हुए भाजपा आलाकमान ने शुक्रवार शाम पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी संसदीय बोर्ड के सदस्य बी.एस. येडियूरप्पा के छोटे बेटे और पहली बार के विधायक बी. वाई. विजयेंद्र को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करने की घोषणा की। विजयेंद्र 2020 से प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष थे। विजयेंद्र कार्यकाल पूरा कर चुके निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष और सांसद नलिन कुमार कटील का स्थान लेंगे। कटील का कार्यकाल पिछले साल ही पूरा हो गया था मगर मई हुए विधानसभा चुनाव के कारण उनके कार्यकाल को विस्तार दिया गया था।
विधानसभा चुनाव में करारी हार के साथ सत्ता खाेने के बाद से ही नए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की नियुक्ति लंबित थी मगर नामों पर सहमति नहीं बन पाने के कारण इसमें देरी हो रही थी। प्रदेश अध्यक्ष के साथ ही विधानसभा में विपक्ष के नेता का चयन नहीं कर पाने के कारण भाजपा को सत्तारुढ़ कांग्रेस के हमलों के साथ ही अपने विधायकों की नाराजगी का भी सामना करना पड़ रहा था। विधायकों ने पिछले सप्ताह एक बैठक के दौरान दोनों पदों पर नियुक्ति में देरी को लेकर नाराजगी जताई थी जिसके बाद येडियूरप्पा ने कहा था कि वे दोनों पदों पर जल्द नियुक्ति के लिए आलाकमान से अपील करेंगे।
लोकसभा चुनाव से पहले समीकरणों को साधने का दांव

भाजपा ने अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले विजयेंद्र को प्रदेश में कमान सौंपने की घोषणा की है। राजनीतिक हलकों में इसे आम चुनाव से पहले चुनावी समीकरणों को साधने का दांव माना जा रहा है। भाजपा पहले ही लोकसभा चुनाव के लिए राज्य में जनता दल-एस के साथ गठबंधन की घोषणा कर चुकी है। जद-एस के साथ गठबंधन की घोषणा के बाद ही यह माना जा रहा था कि भाजपा लिंगायत समुदाय से आने वाले नेता को ही प्रदेश संगठन की कमान सौंपेगी। राजनीतिक तौर पर प्रभावी माने जाने वाले वोक्कालिगा समुदाय में जद-एस और लिंगायत समुदाय पर भाजपा की पकड़ मानी जाती है। राजनीति विश्लेषकों का कहना है कि विजयेंद्र की नियुक्ति से भाजपा ने येडियूरप्पा की नाराजगी दूर करने के साथ ही लिंगायत समुदाय को भी संदेश देने की कोशिश की है। 
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कई महीने से चल रही थी लॉबिंग

राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि येडियूरप्पा कई महीनों से अपने बेटे को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करने के लिए पुरजोर लॉबिंग कर रहे थे। हालांकि, पार्टी के भीतर इस कदम का काफी विरोध हो रहा था। विरोधियों का तर्क था कि पार्टी वंशवाद की राजनीति में शामिल नहीं हो सकती। पार्टी आलाकमान इस मुद्दे पर अनिर्णय की स्थिति में था, जिससे पार्टी राज्य में गतिरोध की स्थिति में पहुंच गई थी। विजयेंद्र के अलावा इस पद के संभावित दावदारों में कई नेताओं के नाम थे। राजनीतिक प्रेक्षकों की निगाहें विजयेंद्र की नियुक्ति के बाद येडियूरप्पा के विरोधियों और सत्तारुढ़ कांग्रेस की प्रतिक्रिया पर टिकी है। 47 वर्षीय विजयेंद्र शिवमोग्गा जिले के शिकारीपुर सीट से विधानसभा के सदस्य हैं। इस क्षेत्र से उनके पिता येडियूरप्पा और बड़े भाई बी. वाई. राघवेंद्र भी विधायक रह चुके हैं। राघवेंद्र अभी शिवमोग्गा से लोकसभा के सदस्य हैं। विजयेंद्र ने भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के सदस्य के तौर पर राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष बनने से पहले विजयेंद्र भाजयुमो के प्रदेश महासचिव भी रहे थे।
अब विपक्ष के नेता की नियुक्ति पर टिकी निगाहें

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद अब निगाहें विधायक दल के नेता के चयन पर टिक गई है। मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा के विधायक दल के नेता को ही विधानसभा में विपक्ष के नेता का दर्जा मिलेगा। मई हुए विधानसभा चुनाव के बाद से भाजपा विधायक दल का नेता नहीं चुने जाने के कारण यह पद रिक्त है। विधानसभा का पिछला सत्र विपक्ष के नेता के बिना ही आयोजित हुआ था। हालांकि, सदन में पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने पार्टी की कमाल संभाली थी। राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है कि विजयेंद्र को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किए जाने के बाद ज्यादा संभावना है कि भाजपा विपक्ष के नेता की जिम्मेदारी वोक्कालिगा समुदाय के नेता को सौंपे। इससे पार्टी राजनीतिक तौर पर दोनों प्रभावी समुदायों को लुभाने का प्रयास कर सकती है।
गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य की 28 में से 25 सीटें जीती थी जबकि कांग्रेस और जद-एस को सिर्फ एक-एक सीट मिली थी। मण्ड्या में भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार अभिनेत्री सुमलता ने जीती थीं। सुमलता ने भी कुछ महीने भाजपा को समर्थन देने की घोषणा की थी।

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