पिछले महीने जद-एस के राष्ट्रीय अध्यक्ष एच डी देवेगौड़ा व गठबंधन समन्वय समिति के अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि विधानसभा और लोकसभा की पांच सीटों के उपचुनाव के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा और इसमें देरी नहीं किए जाएगी।
उपचुनाव में पांच में से चार सीटें जीतने के बावजूद अभी मंत्रिमंडल विस्तार के आसार नहीं लग रहे हैं। राज्य मंत्रिमंडल में अभी कांग्रेस के कोटे की 6 और जद-एस के कोटे की दो सीटें खाली हैं। कांग्रेस पर मंत्रिमंडल विस्तार के लिए वरिष्ठ नेताओं व विधायकों का काफी दबाव है लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेता इसमें रूचि नहीं ले रहे हैं।
सूत्रों का कहना है कि पार्टी नेताओं का मानना है कि दावेदारों की संख्या ज्यादा और पद कम होने के कारण लोकसभा चुनाव तक विस्तार को टालना बेहतर रहेगा। पद से वंचित नेताओं की नाराजगी और असंतोष पार्टी के लिए परेशानी की सबब बन सकते हैं जबकि पद रिक्त होने की स्थिति में नेताओं में उम्मीद बनी रहेगी।
कांग्रेस की असमंजस की स्थिति के कारण जद-एस और कुमारस्वामी भी मंत्रिमंडल विस्तार में रूचि नहीं ले रहे हैं। जद-एस नेताओं का कहना है कि कांग्रेस बड़ी पार्टी और उसके कोटे में ही ज्यादा रिक्त पद हैं लिहाजा कांग्रेस के आगे बढऩे पर ही मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा।
जद-एस के कोटे में सिर्फ एक पद ही रिक्त था लेकिन पिछले महीने शिक्षा मंत्री रहे बसपा नेता एन महेश के त्याग पत्र देने के कारण जद-एस कोटे के मंत्रियों के रिक्त पदों की संख्या बढ़कर दो गई। जद-एस और बसपा का चुनाव पूर्व गठजोड़ था और महेश को जद-एस कोटे से ही मंत्री बनाया गया था।
जद-एस में भी मंत्री पद के दावेदार नेताओंं की संख्या कम नहीं है। विधान परिषद के कार्यवाहक सभापति बसवराज होरट्टी मंत्री पद के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं लेकिन पार्टी उन्हें मंत्री बनाने के पक्ष में नहीं है।
दूसरे पद के लिए भी किसी विधायक का चयन आसान नहीं होगा। कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि अभी आलाकमान का पूरा ध्यान राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव पर है जिसके कारण मंत्रिमंडल विस्तार को हरी झंडी नहीं मिल पा रही है।
हालांकि, प्रदेश कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष ईश्वर खंड्रे ने कहा कि पार्टी के प्रदेश नेताओं ने आलाकमान से मंत्रिमंडल विस्तार व निगम-मंडलों में मनोनयन पर चर्चा की है और जल्द ही इस बारे में निर्णय होने की संभावना है।
हालांकि, आलाकमान ने विधानसभा चुनावों के कारण इस सिलसिले में नवम्बर के अंत तक दिल्ली नहीं आने के निर्देश दिए हैं।