विधान सभा की सभी 224 सीटों के लिए 10 मई को हुए मतदान की मतगणना शनिवार को सुबह 8 बजे 36 केंद्रों में शुरू होगी और दोपहर तक चुनावी तस्वीर साफ हो जाने की संभावना है। विधानसभा में बहुमत के लिए 113 सीटें चाहिए।
किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए राज्य भर में, विशेषकर मतगणना केंद्रों के अंदर और आसपास सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार, पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी और जगदीश शेट्टर के राजनीतिक भविष्य का फैसला भी शनिवार को होगा।
जीत के दावों के बीच वैकल्पिक तैयारियां भीज्यादातर एक्जिट पोल में कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर की संभावना जताई गई है, दोनों राष्ट्रीय दलों के नेता संभावित नतीजों को लेकर मंथन में जुटे हैं जबकि खंडित जनादेश की संभावना से जद-एस को उम्मीद है कि उसे फिर से किंगमेकर की भूमिका में आने का मौका मिलेगा।
अधिकांश एक्जिट पोल में कांग्रेस को बढ़त के बावजूद कुछ सर्वेक्षणों में खंडित जनादेश की संभावना जताई गई है। ऐसे में प्रेक्षकों की निगाहें इस बात पर टिकी है कि त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा के नेतृत्व वाली जद-एस की भूमिका क्या होगी।
पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी पहले ही कह चुके हैं कि हम किंगमेकर नहीं, किंग बनकर उभरेंगे। हालांकि, भाजपा और कांग्रेस के नेता स्पष्ट बहुमत मिलने का भरोसा जता रहे हैं मगर संभावित नतीजों को देखते हुए वैकल्पिक रणनीति भी तैयार कर रहे हैं।
2018 में खंडित जनादेश, बने चार सीएम
2018 में हुए 15वीं विधानसभा के चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला था। भाजपा 104 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी जबकि कांग्रेस को 80 और जद-एस को 37 सीटें मिली थी। एक निर्दलीय के साथ ही बसपा और कर्नाटक प्रज्ञावंत जनता पार्टी (केपीजेपी) को एक-एक सीटें मिली थी। चुनाव परिणाम घोषित होते ही कांग्रेस ने जनता दल-एस के साथ गठबंधन की घोषणा कर दी थी मगर राज्यपाल ने सबसे बड़े दल के कारण भाजपा को पहले सरकार बनाने का मौका दिया था।
मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया और आधी रात के बाद शीर्ष अदालत में मामले की सुनवाई हुई मगर अदालत ने बीएस येडियूरप्पा की मुख्यमंत्री के तौर पर नियुक्ति और शपथ ग्रहण पर रोक नहीं लगाई। अदालत की ओर से तय की गई समय-सीमा में बहुमत साबित नहीं कर पाने के कारण येडियूरप्पा ने पद छोड़ दिया और इसके बाद कुमारस्वामी के नेतृत्व में जद-एस और कांग्रेस की गठबंधन सरकार बनी, मगर दोनों दलों के 17 विधायकों के बगावत के कारण 14 महीने में सरकार गिर गई।
इसके बाद येडियूरप्पा के नेतृत्व में भाजपा सरकार की वापसी हुई। 2019 में 17 विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के बाद 15 सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा ने 12 सीटें जीती थी। येडियूरप्पा दो साल तक मुख्यमंत्री रहे और उनके बाद बोम्मई ने सत्ता की बागडोर संभाली।
किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए राज्य भर में, विशेषकर मतगणना केंद्रों के अंदर और आसपास सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार, पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी और जगदीश शेट्टर के राजनीतिक भविष्य का फैसला भी शनिवार को होगा।
जीत के दावों के बीच वैकल्पिक तैयारियां भीज्यादातर एक्जिट पोल में कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर की संभावना जताई गई है, दोनों राष्ट्रीय दलों के नेता संभावित नतीजों को लेकर मंथन में जुटे हैं जबकि खंडित जनादेश की संभावना से जद-एस को उम्मीद है कि उसे फिर से किंगमेकर की भूमिका में आने का मौका मिलेगा।
अधिकांश एक्जिट पोल में कांग्रेस को बढ़त के बावजूद कुछ सर्वेक्षणों में खंडित जनादेश की संभावना जताई गई है। ऐसे में प्रेक्षकों की निगाहें इस बात पर टिकी है कि त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा के नेतृत्व वाली जद-एस की भूमिका क्या होगी।
पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी पहले ही कह चुके हैं कि हम किंगमेकर नहीं, किंग बनकर उभरेंगे। हालांकि, भाजपा और कांग्रेस के नेता स्पष्ट बहुमत मिलने का भरोसा जता रहे हैं मगर संभावित नतीजों को देखते हुए वैकल्पिक रणनीति भी तैयार कर रहे हैं।
2018 में खंडित जनादेश, बने चार सीएम
2018 में हुए 15वीं विधानसभा के चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला था। भाजपा 104 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी जबकि कांग्रेस को 80 और जद-एस को 37 सीटें मिली थी। एक निर्दलीय के साथ ही बसपा और कर्नाटक प्रज्ञावंत जनता पार्टी (केपीजेपी) को एक-एक सीटें मिली थी। चुनाव परिणाम घोषित होते ही कांग्रेस ने जनता दल-एस के साथ गठबंधन की घोषणा कर दी थी मगर राज्यपाल ने सबसे बड़े दल के कारण भाजपा को पहले सरकार बनाने का मौका दिया था।
मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया और आधी रात के बाद शीर्ष अदालत में मामले की सुनवाई हुई मगर अदालत ने बीएस येडियूरप्पा की मुख्यमंत्री के तौर पर नियुक्ति और शपथ ग्रहण पर रोक नहीं लगाई। अदालत की ओर से तय की गई समय-सीमा में बहुमत साबित नहीं कर पाने के कारण येडियूरप्पा ने पद छोड़ दिया और इसके बाद कुमारस्वामी के नेतृत्व में जद-एस और कांग्रेस की गठबंधन सरकार बनी, मगर दोनों दलों के 17 विधायकों के बगावत के कारण 14 महीने में सरकार गिर गई।
इसके बाद येडियूरप्पा के नेतृत्व में भाजपा सरकार की वापसी हुई। 2019 में 17 विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के बाद 15 सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा ने 12 सीटें जीती थी। येडियूरप्पा दो साल तक मुख्यमंत्री रहे और उनके बाद बोम्मई ने सत्ता की बागडोर संभाली।