लॉरी में बने टैंक में विसर्जन करते श्रद्धालु, बेंगलुरु शहर में कई स्थानों पर ऐसे टैंकरों में देर रात तक विसर्जन हुआ.
विसर्जन के बाद जलाशय में तैरती प्रतिमा, यह नजारा आम होता है.
विसर्जन के लिए लोग विशेष पोशाक पहने दिखे जिस पर गणपति का चित्र उकेरा गया है.
गणपति के भक्त पर्यावरण के प्रति सजग हो रहे हैं, इस साल प्लास्टर ऑफ़ पेरिस की बजाय माटी की प्रतिमाएं अधिक नजर आईं.
विसर्जन स्थल पर बच्चों में खासा उत्साह दिखा. उनके लिए यह किसी कौतूहल से काम नहीं था.
जलाशयों के पास सुरक्षा कर्मियों का भी कड़ा पहरा रहा.
विदा होते गणपति की तस्वीर हर कोई अपने मोबाइल में कैद करना चाहता था.
विशाल प्रतिमाओं को क्रेन की मदद से विसर्जित किया गया.
विसर्जन का क्रम देर रात तक चलता रहा.
Ram Naresh Gautam
हीरा नगरी पन्ना में पैदाइश, संगम नगरी प्रयागराज से पढ़ाई, बाबा नानक की कर्मनगरी सुल्तानपुर लोधी के जिला कपूरथला से मौजूदा कर्मक्षेत्र में कदम रखा जिसके कारण राम की वनवासकाल की प्रवासस्थली चित्रकूट के समीपी सतना सेे होते हुए हिमालय की गोद जम्मू के बाद आईटी सिटी बेंगलूरु में पड़ाव और वर्तमान में कुछ वर्षों से गुलाबी नगरी जयपुुर में ठहराव है...