बेंगलूरु के विभिन्न पुलिस थानों में कार्यरत महिला पुलिस कर्मचारियों से ड्रेस कोड के विषय को लेकर किए गए सर्वे के अनुसार लगभग 95 फीसदी महिला पुलिस कर्मचारियों ने इसका विरोध किया। केवल पांच फीसदी महिला कर्मचारियों ने इसका समर्थन किया। प्रदेश के सभी पुलिस थानों में कार्यरत महिला पुलिस कर्मियों में 96 फीसद की उम्र्र 35 साल से ज्यादा है। वह खाकी साडिय़ां पहनती हैं। उनका मानना है कि साडिय़ां पहन कर काम करने से आराम मिलता है।
एक महिला उप निरीक्षक शैलजा मेरी ने बताया कि वह गत 15 सालों से पुलिस विभाग मे कामरही हैं। उन्होंने आज तक पैन्ट और शर्ट नहीं पहना। अब पैन्ट, शर्ट पहनने से मानसिक रूप से परेशानी होगी। पुलिस विभाग में केवल चार फीसदी महिला पुलिस कर्मचारियों की उम्र 25 साल से कम है और उन्होंने ड्रेस कोड का समर्थन किया है।ु उनका मानना है कि पैन्ट और शर्ट पहनने से कर्तव्य निर्वहन में आसानी होगी।
आरोपियों को दबोचने, कैदियों को न्यायालय में पेश करने और उन्हें जेल लाने, शिकायत मिलने पर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने और धरना देने वालों को गिरफ्तार करने तथा अन्य कार्यों को अंजाम देने में आसानी होगी।
कुछ महिला कर्मचारियों ने बताया कि उम्र ढलने के साथ ही महिला का शरीर बदलने लगता है और पैन्ट, शर्ट पहनने में परेशानी होती है। गैस्ट्रिक का शिकार महिलाओं को सबसे ज्यादा परेशानी होती है।
क्या हैं ड्रेस कोड के प्रावधान * नए ड्रेस कोड के नियम के तहत महिला पुलिस कर्मचारियों को पैन्ट, शर्ट पहनना
* बाल में फूल और हाथों में चूडिय़ां नहीं पहनना, केवल 1-1 धातु की चूड़ी पहनना
* बाल को खुले रखने के बजाए काले रंग के नेटेड बैंड से कसना होगा
* काले रंग के हेयरबैन्ड और बाल को केवल काले रंग का डाई लगाना