दूसर संचार तकनीक और इंटरनेट की आसान पहुंच ने लोगों को रोजमर्रा की तमाम जरूरतों के लिए ऑनलाइन बाजार पर आश्रित सा बना दिया है। बेशक बहुत सी ऑनलाइन सेवाएं हितकारी हैं, लेकिन जब बात सेहत से जुड़ी हो तो चौकन्ना रहने की आवश्यता है।
कर्नाटक चिकित्सा परिषद (केएमसी) ने ऑनलाइन परामर्श को गैर जरूरी और मरीज के साथ खिलवाड़ बताया है। केएमसी के अध्यक्ष डॉ. वीरभद्रप्पा एच. के अनुसार मरीज का उपचार करने से पहले चिकित्सकों के लिए जरूरी है कि वह खुद मरीज को आमने-सामने जांचे।
जो ऑनलाइन परामर्श में संभव नहीं है। ऑनलाइन परामश से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं। इस मरीजों के साथ खिलवाड़ है। ऑनलाइन परामर्श चिकित्सकीय आचार संहिता के लिए अज्ञात है।
अति आधुनिक तकनीकी सुविधाएं हैं। इसका मतलब यह नहीं कि इसका उपयोग मरीज को ऑनलाइन देखने और उपचार के लिए हो। इसकी इजाजत नहीं होनी चाहिए। ऑनलाइन परामर्श उपभोक्ता कानून के दायरे से बाहर नहीं हैं।
मरीज के स्वास्थ्य के साथ कुछ होता है तो इसके लिए उसका चिकित्सक जिम्मेदार है। जो कंपनियां, चिकित्सक और अस्पताल गैर आवश्यक ऑनलाइन परामर्श का सहारा ले रहे हैं केएमसी उनके खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार रखता है। केएमसी कार्यशाला आयोजित कर चिकित्सकों को जागरूक करेगा।
दरअसल बेंगलूरु डर्मेटोलॉजिकल सोसइटी के अध्यक्ष डॉ. आर. रघुनाथ रेड्डी ने परिषद से ऑनलाइन परामर्श पर कई सवाल किए थे। परिषद की राय मांगी थी। जिसके उत्तर में परिषद ने इस तरह के परामर्श को अनावश्यक और मरीज के साथ खिलवाड़ बताया।