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हादसों से कभी पस्त नहीं हुए बुलंद हौसले

locationबैंगलोरPublished: Feb 20, 2019 12:05:01 am

Submitted by:

Rajendra Vyas

हर बार उठ खड़ी हुई वायुसेना की सूर्यकिरण एयरोबैटिक टीम-वर्ष 1996 में मिला था नाम- 2018 में ही पूरी क्षमता के साथ टीम हुई थी तैयार

surya kiran

हादसों से कभी पस्त नहीं हुए बुलंद हौसले

राजीव कुमार मिश्रा
बेंगलूरु. आसमान की ऊंचाइयों पर गजब का तालमेल प्रदर्शित करते हुए अपने हैरतअंगेज कारनामों से दातों तले अंगुली दबाने को मजबूर करने वाली वायुसेना की सूर्यकिरण टीम इस बार एयरो इंडिया में अपनी चमक बिखेरने से रह गई। चार वर्ष बाद पिछले एयरो इंडिया (2017) में लाल रंग में रंगे छह एजेटी हॉक विमानों के साथ सूर्यकिरण टीम की वापसी हुई थी। मंगलवार को दो विमानों के आपस में टकराने के बाद यह एयरोबैटिक टीम इस बार के एयरो इंडिया में उड़ान नहीं भरेगी।
1996 में मिला था सूर्य किरण नाम
अपने अद्भुत कारनामे, दक्षता और कुशलता से जमीन से लेकर आसमान तक रोमांच भरने वाली वायुसेना की इस टीम को सूर्यकिरण नाम वर्ष 1996 में मिला था। दरअसल, भारतीय वायुसेना के पहले एयरोबैटिक टीम का गठन वर्ष 198 2 में स्वर्ण जयंती वर्ष में हुआ था। उस टीम के सदस्य नौ हॉकर हंटर एफ-56 ए विमानों के साथ उड़ान भरते थे। यह विमान वायुसेना के नंबर-20 स्क्वाड्रन के थे। ये विमान गहरे नीले रंग में रंगे होते थे और उनपर सफेद रंग की एक पट्टी होती थी। इस टीम को थंडरबोल्ट्स कहा जाता था। वर्ष 1990 में इस टीम को एचएएल द्वारा निर्मित चार एचजेटी-16 किरण मैक-2 जेट ट्रेनर विमानों के साथ पुनगर्ठित किया गया। इसके बाद 27 मई 1996 में इसमें दो और विमान जोड़े गए। इसमें से एक विमान अतिरिक्त रखा गया। इस पुनर्गठन के बाद इस टीम को नया नाम मिला सूर्यकिरण।
दिल्ली में हुआ था पहला प्रदर्शन
सूर्यकिरण नाम से टीम ने पहली बार 8 अक्टूबर 1996 को वायुसेना दिवस पर अपनी जांबाजी दिखाई। वह वायुसेना दिवस नई दिल्ली के पालम हवाई अड्डे पर मनाया गया था। अगले साल इस टीम में और विमान जोड़े गए और उनकी संख्या फिर नौ हो गई। वर्ष 2001 में पहली बार विदेशी धरती पर प्रदर्शन करते हुए श्रीलंका के कोलंबो में करतब दिखाए।
2006 में हुई पहली दुर्घटना
सूर्यकिरण टीम को पहली बार 18 मार्च 2006 को दुर्घटना का सामना करना पड़ा। बीदर हवाई अड्डे पर थ्री-शिप फार्मेशन के दौरान एक विमान क्रैश हुआ जिसमें दो पायलट विंग कमांडर धीरज भाटिया और स्क्वाड्रन लीडर शैलेंद्र सिंह मारे गए। दुर्घटना तब हुई जब दोनों लो-लेवर पर एक दूसरे को पास कर रहे थे। इसमें से जो विमान नीचे था वह एक नजदीकी कॉलेज के ऊपर महज 30 फीट की ऊंचाई से निकला और उसके परिसर में ही जा गिरा।
बीदर हादसे के बाद बिखर गई टीम
इसके बाद 21 जनवरी 2009 को सूर्यकिरण टीम के साथ दूसरा बड़ा हादसा हुआ। बीदर हवाई अड्डे से विंग कमांडर राजपाल सिंह धालीवाल किरण ट्रेनर एयरक्राफ्ट के साथ उड़ान भरे लेकिन हवा में ही विमान के इंजन में आग लग गई। विमान क्रैश हुआ जिसमें विंग कमांडर धालीवाल मारे गए। यह दुर्घटना बीदर से आगे कुंटा के जंगली क्षेत्र में हुई। इसके बाद आंतरिक कारणों से सूर्यकिरण टीम को ग्राउंड कर दिया गया। सूर्यकिरण टीम के 13 पायलटों को वायुसेना के विभिन्न स्क्वाड्रनों में नियुक्त कर दिया गया।
पूरी क्षमता हासिल होते ही फिर हादसा
सूर्यकिरण टीम फिर एक बार वर्ष 2015 में पुनर्गठित हुई। इस बार ब्रिटेन की बीएई कंपनी के हॉक एमके-132 विमानों के साथ टीम उतरी। नए विमानों के साथ नई टीम 8 अक्टूबर 2015 को वायुसेना दिवस पर हिंडन में अपना पहला प्रदर्शन किया। लेकिन, तब यह टीम सिर्फ 4 विमानों के साथ थी और विभिन्न फार्मेशन में सिर्फ फ्लाइ पास्ट तक ही उनका प्रदर्शन सीमित था। नवम्बर 2016 में दो और विमान टीम से जुड़े। वर्ष 2018 में ही सूर्यकिरण टीम फिर एक बार नौ विमानों के साथ पूरी क्षमता हासिल की थी। लेकिन, अब 19 फरवरी 2019 को हुई दुर्घटना के साथ ही एक बार फिर इस टीम का भविष्य अनिश्चितताओं में घिर गया है।
बेहद सावधानी से तैयार होती है योजना
आसमान की बुलंदियों को छूने के लिए निकलने से पहले टीम मानसिक रूप से उड़ान भरती है। हर उड़ान से पहले से जबरदस्त तैयारियां होती हैं और उड़ान के दौरान बेहद सख्त नियम अपनाए जाते हैं। सूर्य किरण टीम के पायलटों का कहना है कि इसके बेहद उच्च स्तर की कुशलता चाहिए। अगर 40 युद्धक पायलट इसमें आने की इच्छा व्यक्त करते हैं तो अंतत: दो का चयन इसमें होता है। हर उड़ान से पहले उसका अभ्यास किया जाता है और पूर्ण योजना तैयार की जाती है। कौन पायलट कहां और किस पोजिशन में होगा, डिसप्ले साइट क्या होगी, मौसम कैसा है आदि। इसके अलावा उड़ान के दौरान चुनौतियों और आपातकालीन स्थितियों से निपटने की भी योजना तैयार की जाती है। पायलट पहले मानसिक रूप से विमान को जमीन पर उड़ाते हैं फिर असल में उड़ान भरते हैं। हर उड़ान के बाद प्राप्त आंकड़ों और वीडियो रिकॉर्डिंग पर विस्तृत चर्चा होती है। अगर कोई पायलट अपनी पोजिशन पर सटीक नहीं रहा, अथवा कोई गलती रही तो उसे अगली उड़ान में सुधार लिया जाता है।

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