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अघनाशिनी में बिना अनुमति के काटे सैकड़ों पेड़

locationबैंगलोरPublished: Sep 11, 2018 11:36:34 pm

तटीय क्षेत्र उत्तर कन्नड़ जिले के अघनाशिनी में रेसार्ट निर्माण के लिए बिना अनुमति के सैकड़ों पेड़ों को काटने का मामला सामने आया है।

अघनाशिनी में बिना अनुमति के काटे सैकड़ों पेड़

अघनाशिनी में बिना अनुमति के काटे सैकड़ों पेड़

हुब्बल्ली. तटीय क्षेत्र उत्तर कन्नड़ जिले के अघनाशिनी में रेसार्ट निर्माण के लिए बिना अनुमति के सैकड़ों पेड़ों को काटने का मामला सामने आया है। इस मामले को गम्भीरता से लेते हुए जिलाधिकारी एसएस नकूल ने संज्ञान लेते हुए शिकायत दर्ज की और जांच के आदेश दिए।

चट्टानों-पहाड़ों को मनचाहे तौर पर काटकर रेसार्ट का निर्माण करना ही कोडगु की प्राकृतिक आपदा का मूल कारण बना। इस हादसे को लोग अभी तक भुला नहीं पाए हैं और अभी ताजा है। ऐसे में पश्चिम घाट का संवेदनशील इलाका अघनाशिनी में सैकड़ों एकड़ पहाड़ी को रेसार्ट निर्माण के लिए समतल बनाया गया है।

पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि कोडगु में बारिश से आई बाढ़ से पहाड़ी-चट्टाने गिरने से हजारों घरों का नामो-निशान तक नहीं रहा, पांच-छह गांव मिट्टी में दब गए, सैकड़ों लोग लापता हुए, अनगिनत मवेशी बाढ़ में बह गए। ऐसी तबाही दुबारा नहीं हो इसके लिए पश्चिम घाटी क्षेत्र की रक्षा एक मात्र समाधान है। इस बारे में पर्यावरण तथा भू विज्ञानियों ने वैज्ञानिक तौर पर सबूत समेत आए दिन चेताते रहे हैं। इसके बावजूद पश्चिमी घाटी की पहाडी, पर्वत, चट्टानों की कटाई मात्र नहीं रुकी है।


हरियाली हुई गुम
अब पश्चिम घाटी में ही बेहद सवेंदनशील क्षेत्र के तौर पर जाने जाने वाले अघनाशिनी तलहटी में चुपचाप पहाड़ी को हटाया जा रहा है। पहाडी पर प्राकृतिक तौर पर उगे हजारों वनस्पति के पौधे तथा पेड़ धराशाही हुए हैं। जेसीबी, रोलर के जरिए पहाड़ी को समतल बनाया गया है। अघनाशिनी पहाड़ी पर मनुष्य का स्वार्थ व हस्तक्षेप हद पार किया है। आवाज उठाने वाले कोई नहीं रहे हैं। कुछ स्थानीय जनप्रतिनिधियों तथा उद्यमियों के स्वार्थ की राजनीति के आगे संघर्ष नहीं कर पाने की स्थिति में प्रबुध्द भी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। कोडगु में हुई प्राकृतिक आपदा की भयानक घटना यहां भी आगामी 10-20 वर्षों में होने में कोई संदेह नहीं है। इतने पैमाने पर पहाड़ी काट कर रेसार्ट निर्माण के लिए तैयार किया जा रहा है।


मंजूरी मिलने से पहले अतिक्रमण
पर्यावरण प्रेमियों ने बताया कि रेसार्ट के लिए तैयार पहाड़ी क्षेत्र को जाने के लिए दो रास्तें हैं, एक अघनाशिनी गांव के समुद्री तट से निजी स्वामित्व की जमीन के जरिए, दूसरा अघनाशिनी मार्ग के मध्य मास्तिकट्टी के वन विभाग की जमीन के जरिए। इस वन विभाग की एक किलोमीटर जमीन का ही अतिक्रमण कर रेसार्ट को देने की मांग को लेकर एक माह पूर्व इंटरनेट के जरिए आवेदन सौंपा है। आवेदन समीक्षा के स्तर पर है। अधिकारियों से मंजूरी मिलने से पहले ही वन विभाग के एक किलोमीटर क्षेत्र को सडक़ के तौर पर निर्माण किया है। वन संरक्षण अधिनियम के तहत कानून का पूरी तरह उल्लंघन किया गया है।


सैकड़ों पेड़ हुए धराशायी
प्रस्तावित रेसार्ट की जमीन पर चार बोरवेल खोदे गए हैं। वह भी बिना किसी अनुमति के। घर के पीछे स्थित एक पेड़ काटने के लिए वन विभाग को कारण बताकर मंजूरी प्राप्त करनी चाहिए परन्तु यहां स्थित निजी स्वामित्व की जमीन पर उगे हजारों पेड़ों को काट कर धराशायी करने के लिए किसी प्रकार की कोई अनुमति भी नहीं ली है।अजीब बात है कि वन विभाग के अधीन स्थित पेड़ों काट कर गायब कर दिया है। बोरवेल की खुदाई तथा हजारों पेड़ों की कटाई के नतीजे अघनाशिनी पहाड़ी अब अपनी धारण शक्ति खोती जा रही है।


युध्द स्तर पर हो रहे कार्य
पर्यावरण प्रेमियों ने बताया कि अघनाशिनी पहाड़ी के ऊपरी भाग पर स्थित लगभग सौ एकड़ निजी स्वामित्व की जमीन को कुछ जनप्रतिनिधयों तथा उद्यमियों ने रेसार्ट निर्माण के लिए एक गुंटे को 22 हजार रुपए के हिसाब से खरीदा है। पहाड़ी पर स्थित जमीन अघनाशिनी के पाई, शानभाग, पटेल परिवार के स्वामित्व की है। दो माह पूर्व कानूनी तौर पर जमीन खरीदी की प्रक्रिया पूरी हुई है। अब पहाड़ी की कटाई तथा समतल बनाने का कार्य तेजी से चल रहा है। खरीदी गई जमीन के चारों ओर बाड़ का निर्माण किया गया है। उचित जगह पर शेड का निर्माण किया है।


कोडगु के हालात अघनाशिनी को भी हो सकते हैं
पर्यावरण प्रेमियों ने चिंता जताते हुए बताया कि अरब सागर तथा अघनाशिनी नदी के संगम स्थल के ऊपर स्थित यह पहाड़ी बेहत संवेदनशील क्षेत्र है। हजारों औषधीय पेड़-पौधे, जीव-जंतु, पक्षियों की प्रजातियां हैं। हजारों वर्षों से मनुष्य के हस्तक्षेप के बिना किसी के दखल के यहा जी रहे हैं। इसके अलावा यह प्राकृतिक पहाडी अपने लिए जरूरी पेड़-पौधों का पोषण कर बारिश का पानी बहने के लिए झरनों का निर्माण किया है परन्तु स्वार्थी लोग हजारों वर्षों से खड़े पहाड़ी पर सवारी कर रहे हैं। सैकड़ों एकड़ जमीन पर रेसार्ट निर्माण की योजना बनाकर धन कमाने को आगे आए हैं। रेसार्ट के पहले चरण का कार्य चल रहा है। इसके पूरा होने पर आगामी दिनों में कोडगु में हुए हालात यहां भी होने में कोई संदेह नहीं है।


स्थानीय निवासियों को पता ही नहीं
रेसार्ट निर्माण के लिए चयनीत जमीन प्राकृतिक तौर पर पेड़-पौधों से भरा पहाड़ी इलाका है। इस पहाड़ी के निछले भाग में अघनाशिनी नामक गांव है। प्राचिन समय से अनेक परिवार यहां रह रहे हैं। सैकड़ों घर हैं, जो पहाड़ी की तलहटी को ही पनाहगाह बना लिया है। अपने घरों के ऊपर स्थित पहाड़ी को रेसार्ट के लिए काटने की छोटी सी जानकारी भी यहां के निवासियों को नहीं है परन्तु इस बारे में जानकारी रखने वाले कुछ ही ग्राम पंचायत के सदस्य चालाकी रुख अपनाते हुई इससे उन्हें किसी प्रकार का कोई सरोकार ही नहीं है ऐसे बर्ताव कर रहे हैं।


जिलाधिकारी ने दर्ज की शिकायत
रेसार्ट के लिए अघनाशिनी पहाड़ी पर सैकड़ों एकड़ जमीन को समतल बनाने के बारे में जिलाधिकारी एसएस नकुल ने संज्ञान लेते हुए शिकायत दर्ज की है। पर्यटन उद्योग विभाग, भू एवं विज्ञान विभाग, होन्नावर उप वन विभाग, कुमटा राजस्व विभाग, तालुक प्रशासन तथा कागल ग्राम पंचायत अधिकारी दस्तावेज की समीक्षा तथा जानकारी संग्रह करने में जुटे हैं। आरम्भिक जांच में ग्राम पंचायत, वन विभाग, अंतर्जल मंडल की ओर से अनुमति प्राप्त किए बिना सभी कानूनों को ताख पर रखकर पहाड़ी को समतल बनाने की जानकारी मिली है।


एक ओर जिलाधिकारी नकुल ने कार्रवाई करने का फैसला लिया है तो वहीं दूसरी ओर स्थानीय निवासियों ने आंदोलन करने का निर्णय किया है। जिलाधिकारी कानूनी तौर पर संबंधित विभागों से जानकारी संग्रह कर रेसार्ट निर्माण के बाद क्या क्या समस्याएं पेश आ सकती हैं इस बारे में मौके की समीक्षा कर अंतिम फैसला लेकर संभावित रिपोर्ट तैयार करेंगे। इसी बीच कागाल पंचायत अध्यक्ष तथा पीडीओ ने गुरुवार को समतल किए गए अघनाशिनी पहाड़ी का दौर कर फोटो समेत जानकारी संग्रह की है। मौका मुआयना के दौरान उन्होंने पाया कि यहां अत्यधिक कानून का उल्लंघन किया गया है।

वैज्ञानिक तौर पर समीक्षा करें
&तटीय अरब सागर के छोर पर बारिश कहर बन जाती है। इससे लगे अघनाशिनी पहाड़़ी को पर्यटन उद्योग के नाम पर काट से आगामी दिनों में कोडगु में हुई प्राकृतिक आपदा यहां भी दोहरा सकती है, सैकड़ों परिवार समाधी बन सकते हैं। इसके लिए अनुमति देने के बारे में संबंधित विभाग तथा अधिकारियों को वैज्ञानिक तौर पर समीक्षा करना बेहतर है।
राघव नायक, निवासी, अघनाशिनी

वन विभाग ने नहीं दी मंजूरी
&अघनाशिनी पहाड़ी की निजी स्वामित्व की जमीन पर पर्यटन उद्योग चलाने की खातिर वहां आवा जारी के लिए वन विभाग की जमीन को लीज पर देने की मांग को लेकर कुछ लोगों ने आवेदन सौंपा है। आवेदन समीक्षा के स्तर पर है। कोडगु के हालात आंखों के सामने हैं तथा पहाड़ी के नीचे सैकड़ों परिवारों के वास करने से वन विभाग ने मंजूरी नहीं दी होगी।
वसंत रेड्डी, उप वन संरक्षण अधिकारी

कानूनों का हुआ उल्लंघन
&पहाडी पर स्थित हजारों पेड़ों को वन विभाग की अनुमति के बिना ही काटा है। समतल किए पहाडी पर चार बोरवेल खुदवाए गए हैं। इसकी भी पंचायत से अनुमति नहीं ली है। निजी व्यक्ति की जमीन होने पर भी कुछ करने से पहले स्थानीय प्रशासन पंचायत से अनापत्ति प्रमाणपत्र प्राप्त करना अनिवार्य है। साथ ही स्थानीय निवासियों से भी मंजूरी पत्र प्राप्त करना चाहिए परन्तु इस पहाड़ी पर रेसार्ट निर्माण को लेकर किसी ने भी आवेदन नहीं सौंपा है। इस पहाड़ी को जमीन के मालिकों की ओर से ही समतल बनाने की जानकारी मिली है। चार जगहों पर बोरवेल खुदवाया है। कुछ कानूनों का उल्लंघन हुआ है। इस बारे में ग्राम पंचायत की सभा में चर्चा कर आगामी कार्रवाई की जाएगी।
मुरलीधर नायक, पीडीओ, कागल ग्राम पंचायत

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