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एचएएल के बंद होने की नौबत नहीं : माधवन

locationबैंगलोरPublished: Nov 03, 2018 07:31:48 pm

Submitted by:

Ram Naresh Gautam

रक्षा पीएसयू के अध्यक्ष का दावा : 64 हजार करोड़ रुपए का आर्डर बुक
83 तेजस मार्क-1 ए विमानों के आर्डर से बड़ी उम्मीदें
सुखोई की आपूर्ति के बाद नासिक में भी बनेगा तेजस
हर वर्ष 20 तेजस उत्पादन का लक्ष्य

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एचएएल के बंद होने की नौबत नहीं : माधवन

बेंगलूरु. सार्वजनिक क्षेत्र की विमान निर्माता कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक आर. माधवन ने कहा कि आर्डर की कमी के कारण कंपनी के बंद होने की अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि ऐसा कोई खतरा नहीं है।
यहां शुक्रवार को संवाददाताओं से बातचीत करते हुए माधवन ने कहा कि एचएएल के पास आर्डर की थोड़ी कमी है लेकिन अभी कई परियोजनाएं पाइपलाइन में हैं।

एचएएल का आर्डर बुक 6 4 हजार करोड़ रुपए का है और इस आर्डर को अगले चार साल में पूरा किया जाना है। मुख्य रूप से एयरक्राफ्ट डिविजन में आर्डर की कमी की बात मान सकते हैं।
नासिक एयरक्राफ्ट डिविजन में जहां सुखोई-30 एमकेआई विमान तैयार किए जा रहे हैं उसका काम अगले वर्ष के अंत तक पूरा हो जाएगा। सिर्फ 24 सुखोई विमान वायुसेना को और सौंपे जाने हैं।

लेकिन, इसके लिए एचएएल पहले से ही तैयार है। नासिक डिविजन में भी हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस का ही उत्पादन किया जाएगा।
एचएएल एलसीए उत्पादन बढ़ाने के लिए 1300 करोड़ रुपए का निवेश करेगी। फिलहाल एचएएल की तेजस उत्पादन क्षमता 8 विमान प्रति वर्ष है जिसे बढ़ाकर 16 और नासिक डिविजन में उत्पादन शुरू होने के बाद प्रति वर्ष 20 हो जाएगा।
एलसीए उत्पादन बढ़ाने के लिए एचएएल निजी क्षेत्र के उद्योगों की भी मदद लेगी।

इसके लिए चार निजी कंपनियों के साथ साझेदारी की जाएगी जो तेजस के ढांचे की आपूर्ति करेंगे। इसके लिए नासिक डिविजन में एक एलग एलसीए उत्पादन इकाई स्थापित की जाएगी।
हालांकि, इस उत्पादन इकाई की जरूरत तब पड़ेगी जब एचएएल को 8 3 तेजस मार्क-1 ए विमानों के उत्पादन का आर्डर हासिल होगा।

हालांकि, इन विमानों के आर्डर की मंजूरी का मामला केंद्र सरकार की ओर से गठित लागत समिति को लेकर फंसा हुआ है।
दरअसल, तेजस मार्क-1 ए विमानों की लागत पर उठे सवालों के बाद सरकार ने इसकी जांच के लिए एक समिति गठित की थी।

एचएएल अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने समिति को इस संदर्भ में स्पष्टीकरण सौंप दिया है।
प्रारंभिक परिचालन मंजूरी (आईओसी) और अंतिम परिचालन मंजूरी (एफओसी) स्तर के तेजस में काफी फर्क होगा और दोनों की कीमतों की तुलना नहीं की जा सकती।

क्योंकि, एफओसी मानक के तेजस में कई उपकरण होंगे जिससे उसकी लागत भी अधिक होगी।
माधवन ने कहा कि विमानों के अलावा हेलीकॉप्टरों के उत्पादन के लिए आर्डर पाइपलाइन में है।

हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच) का आर्डर जल्द मिलने की उम्मीद है। कम से कम 15 एलसीएच का आर्डर जल्दी ही मिलेगा।
इसके अलावा एलयूएच और रूस के साथ संयुक्त साझेदारी में कामोव हेलीकॉप्टर तैयार करने के लिए भी आर्डर आएंगे।

इन तमाम पहलुओं का देखते हुए एचएएल के भविष्य पर कोई सवाल खड़ा करना ठीक नहीं है।
उन्होंने कहा कि कंपनी के कर्मचारियों का मनोबल ऊंचा है। कंपनी अपने उत्पादों का निर्यात बढ़ाने की संभावनाएं भी तलाश रही है।

पिछले वर्ष कंपनी ने 400 करोड़ रुपए मूल्य के उत्पादों का निर्यात किया था जबकि इस वर्ष 425 करोड़ रुपए के निर्यात का लक्ष्य है।
नगदी की स्थिति संभली : कृष्णन
एचएएल में नगदी संकट के सवाल पर कंपनी के वित्त निदेशक सी बी अनंत कृष्णन ने कहा कि एक समय यह घटकर 1 हजार करोड़ रुपए तक आ गई थी लेकिन अब स्थिति संभल गई है।
हाल ही में वायुसेना ने बकाया 9 हजार करोड़ रुपए में से 2 हजार करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया है। कंपनी पर कोई ऋण नहीं है और उसे किसी अन्य स्रोत से ऋण लेने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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