यहां शनिवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ आयोजित परिचर्चा कार्यक्रम में एचएएल प्रबंधन द्वारा ऐसे कार्यक्रमों से दूर रहने के सुझावों को नजरअंदाज कर पहुंचे वर्तमान कर्मचारियों ने खुलकर कहा कि उन्हें अपने ऊपर कार्रवाई का डर नहीं है बल्कि डर इस बात का डर है कि कहीं केंद्र सरकार इस सार्वजनिक उपक्रम को धीरे-धीरे खत्म न कर दे।
एचएएल एयरक्राफ्ट डिविजन में कार्यरत और एचएएल अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन जाति कर्मचारी अधिकारी संघ के अध्यक्ष बीएन शिवलिंगय्या ने कहा कि एयरक्राफ्ट डिविजन में 1500 से 2 हजार कर्मचारी बेकार बैठे हैं क्योंकि एचएएल के पास कोई काम नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारा संविधान कहता है कि इस देश को कल्याणकारी बनाएंगे।
खासकर देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को देश का मंदिर कहा था लेकिन आज इन उपक्रमों की हालत बेहद खस्ता है। खासकर एयरक्राफ्ट डिविजन में कर्मचारी बेकार बैठे हैं।
उन्होंने कहा कि हम सभी जानते हैं कि अगले पांच साल में एचएएल बंद हो जाएगा क्योंकि उसके पास कोई काम नहीं है। साल 2015 में कमोव हेलीकॉप्टर के लिए करार हुआ लेकिन उसके बाद मामला ठंडा पड़ गया। सरकार को परियोजना के लिए फंड जारी करना था लेकिन उसने अपने शेयरों की पुन: खरीद को प्राथमिकता दी जिसमें एचएएल के 6 हजार करोड़ रुपए खर्च हुए।
एचएएल में 30 हजार कर्मचारी हैं और उन कर्मचारियों के लिए काम चाहिए लेकिन सरकार कोई ऐसी परियोजना हाथ में नहीं ले रही है जो पांच साल के बाद की हो। उन्होंने कहा कि यानी, 5 साल में कंपनी को बंद करने की साजिश है। लगभग 80 फीसदी कर्मचारी रिजर्व में हैं और इसलिए उन्हें परियोजनाएं चाहिए जिसपर काम करें। एचएएल में जो भी नियुक्तियां हो रही हैं वह केवल पांच साल के लिए ही हो रही हैं।
यहां अब कोई भी स्थायी रोजगार नहीं है। उन्होंने कहा कि रफाल सौदा 58 हजार करोड़ का है और उसका 50 फीसदी ऑफसेट ठेका एचएएल को मिलना चाहिए। लेकिन, जिस तरह एचएएल आगे बढ़ रहा है ऐसा लगता है कि यह खुदकुशी की राह पर चल रहा है।