स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के मंगलवार के आंकड़ों के अनुसार ऐसा एक भी जिला नहीं है, जहां डेंगू ने लोगों को अपना शिकार न बनाया हो। बारिश में यह मच्छर तेजी से पनपते हैं। साथ ही तापमान का बार-बार कम-ज्यादा होना और तेजी से बढ़ता Urbanization भी डेंगू के फैलने के लिए जिम्मेदार है।
Doctors का कहना है कि गत वर्ष तक त्वचा पर लाल चकते और बुखार डेंगू को परिभाषित करते थे। वैसे तो 95 प्रतिशत मामलों में डेंगू सामान्य बुखार की दवाई और सामान्य देखभाल से ही ठीक हो जाता है। पांच प्रतिशत केस ही ऐसे होते हैं, जिसमें स्थिति गंभीर होती है। यह ऐसे मामले होते हैं, जब डेंगू दूसरी या तीसरी बार अटैक करता है। इसमें Blood Cells बनना कम हो जाते हैं। किडनी काम न करने जैसी कई समस्याएं होती हैं।
लेकिन इस वर्ष स्थिति बदल गई है। कुछ मामलों में तो बुखार के बिना भी डेंगू की पुष्टि हुई है। डेंगू के मच्छर पेट, गुर्दा, यकृत और अग्न्याशय पर हमला कर रहे हैं। गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक में पानी जमने और दस्त के कारण मरीजों को कई दिनों तक भर्ती रखना पड़ रहा है। लोगों का सलाह है कि तीन से ज्यादा दिनों तक तेज बुखार रहने की स्थिति को नजरअंदाज करने या घरेलू उपचार करते रहने से बेहतर है कि एक बार अपने चिकित्सक को जरूर दिखाएं।