जानकारों का कहना है कि कुमारस्वामी ने पहले समारोह में शामिल होने का फैसला किया था लेकिन बाद में राजनीतिक कारणों से उन्हें अपना फैसला बदलना पड़ा। कुमारस्वामी जब २०१४ में टीपू जयंती के खिलाफ कोडुगू में प्रदर्शन के दौरान मरे लोगों को परिजन को सांत्वना देने पहुंचे थे तो जद-एस के सत्ता में आने पर इस आयोजन को बंद करने का आश्वासन दिया था। बताया जाता है कि वोक्कालिगा समुदाय, जिससे कुमारस्वामी आते हैं वह सरकारी स्तर पर टीपू सुल्तान की जयंती के आयोजन के खिलाफ है। इसी कारण कुमारस्वामी ने अंतिम क्षणों में कार्यक्रम से दूर रहने का निर्णय लिया। दूसरा कारण, टीपू सुल्तान से जुड़ा मिथक भी बताया जा रहा है। चर्चा है कि टीपू के महिमामंडन का प्रयास करने वाले लोगों के मुश्किल में घिरने के मिथक के कारण भी कुमारस्वामी और उनका परिवार इस आयोजन से दूर रहना चाहता है। बताया जाता है कि राजनीतिक दबावा के कारण ही विधानसौधा के बैंक्वेट हॉल के बजाय आयोजन स्थल रवींद्र कला क्षेत्र करने का निर्णय लिया था ताकि किसी तरह का विवाद नहीं हो। लेकिन, बाद में पुलिस के सुझाव पर उसमें बदलाव किया गया।